यूक्रेन संकट के बीच S-400 पर क्या नाराज है अमेरिका? भारत के लिए क्यों जरूरी है यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम?
यूक्रेन संकट के बीच भारत और रूस के बीच S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डील पर बवाल मचा हुआ है। अमेरिका रूस से हथियार खरीदने के भारत के फैसले से खासा नाराज है। यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान में ही तबाह कर सकता है।
भारत का नया 'ब्रह्मास्त्र' S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम : S-400 को रूस का सबसे एडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है।
क्या बोले अमेरिकी राजनयिक : अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू ने कहा कि बाइडेन प्रशासन यह देख रहा है कि काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत रूस से एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए भारत पर पाबंदी लगाई जाए या नहीं। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के संयुक्त राष्ट्र में मतदान से भारत की दूरी से फैसले से अमेरिका नाराज बताया जा रहा है।
प्रतिबंधों का आपूर्ति पर असर नहीं : रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस प्रणाली की आपूर्ति पर पश्चिमी देशों द्वारा उस पर लगाए गए प्रतिबंधों से कोई असर नहीं पड़ेगा।
मतभेदों की अटकलों पर विराम : यूक्रेन संकट के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच मतभेद होने की सभी अटकलों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के साथ यूक्रेन-रूस संकट पर संयुक्त बयान जारी किया।
बयान के अनुसार, चारों नेता नई मानवीय सहायता और आपदा राहत तंत्र बनाने पर राजी हो गए, जिससे यूक्रेन में संकट से निपटते हुए क्वाड को हिंद-प्रशांत में भविष्य की मानवीय चुनौतियों से निपटने और संवाद के लिए चैनल मुहैया कराने में मदद मिलेगी।