शुक्रवार, 15 सितम्बर 2023
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नए वर्ष में 10 मंदिरों में दर्शन कर करें साल की शुभ शुरुआत

मंगलवार,दिसंबर 27, 2022
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कन्याकुमारी हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है और साथ ही यह पर्यटन प्रेमियों के लिए बहुत ही अद्भुत डेस्टिनेशन है। भारत के दक्षिणी छोर पर बसा कन्याकुमारी हमेशा से ही टूरिस्ट्स की फेवरेट जगह रही है। आओ जानते हैं इस तीर्थ स्थान के बारे में खास 10 बातें।
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वैसे तीर्थराज तो प्रयाग है लेकिन संपूर्ण भारत में महाकाल की नगरी उज्जैन को सब तीर्थों में श्रेष्ठ माना जाता है जिसके कई कारण है। पहला यह कि यहां जितने प्रमुख और महत्वपूर्ण स्थान है उतने किसी तीर्थ क्षेत्र में नहीं। आओ जानते हैं उन्हीं में से 10 ...
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समुद्र किनारे बसे पुरी नगर में होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव के समय आस्था और विश्वास का जो भव्य वैभव और विराट प्रदर्शन देखने को मिलता है, वह दुनिया में और कहीं दुर्लभ है। इस बार 12 जुलाई को भगवान श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध शुभ और सुंदर यात्रा ...
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हमने जिस तरह आपको पंच कैलाश, पंच केदार आदि हिन्दू तीर्थ के बारे में बताया था उसी तरह अब जानिए सप्त बद्री के बार में संक्षिप्त जानकारी जो उत्तराखंड के चमोली में स्थित है और सभी जगह श्रीहरि विष्णु विराजमान हैं।
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हिन्दू सनातन धर्म में चार धाम की यात्रा का बहुत ही महत्व है। मई माह में अक्सर चार धाम की यात्रा प्रारंभ होने के बारे में हम सुनते आएं हैं। परंतु यह चार धाम की यात्रा नहीं बल्कि एक धाम की ही यात्रा रहती है। आओ जानते हैं कि बड़ा चार धाम और और छोटा चार ...
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धरती के 70.8% प्रतिशत भाग पर समुद्र है जिसमें से 14% भाग पर बसा है विराट हिंद महासागर। भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है और जिसके 13 राज्यों की सीमा से समुद्र लगा हुआ है। निम्न प्रमुख समुद्र तटों से समुद्र को निहारना बहुत ही रोमांचक अनुभव होता है। ये ...
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पितृदोष कुंडली के अलावा हमारे कर्मों का दोष भी होता है। पितृ बाधा का मतलब यह होता है कि आपके पूर्वज आपसे कुछ अपेक्षा रखते हैं, दूसरा यह कि आपके पूर्वजों के कर्म का आप भुगतान कर रहे हैं। यह भी कि यह हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष ...
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इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां का विशाल शिवलिंग, अपने-आप में अनूठे और विशाल आकार वाले इस शिवलिंग के कारण भोजेश्वर मंदिर को उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है। चिकने लाल बलुआ पाषाण के बने इस शिवलिंग को एक ही पत्थर से बनाया गया है और यह विश्व ...
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जम्मू, कश्मीर और लद्दाख दरअसल तीन अलग-अलग क्षेत्र हैं। तीनों ही के कुछ भाग पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले रखे हैं। जम्मू संभाग का क्षे‍त्रफल पीर पंजाल की पहाड़ी रेंज में खत्म हो जाता है। इस पहाड़ी के दूसरी ओर कश्मीर है। अनुमानित रूप से कश्मीर का ...
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पंढरपुर की यात्रा आजकल आषाढ़ में तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी को होती है। देवशयनी और देवोत्थान एकादशी को वारकरी संप्रदाय के लोग यहां यात्रा करने के लिए आते हैं। यात्रा को ही 'वारी देना' कहते हैं। प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के मौके पर पंढरपुर में लाखों ...
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छतरपुर जिले की बड़ा मलहरा तहसील से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रसिद्ध तीर्थस्थल 'भीमकुंड'। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित यह स्थान प्राचीनकाल से ही ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों एवं साधकों की स्थली रही है।
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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में बहुत ही प्राचीन स्थान है जहां पर माता दंतेश्वरी का मंदिर है। परंपरा से देवी दन्तेश्वरी बस्तर राज्य के आदिवासियों की कुलदेवी हैं। इसे काकतीय राजाओं की कुलदेवी भी माना जाता है।
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है ...
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