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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 12 जुलाई 2025 (14:07 IST)

विश्व का एकमात्र ज्योतिर्लिंग जहां हर रात शयन के लिए आते हैं भोलेनाथ और माता पार्वती, साथ खेलते हैं चौपड़

mystery of omkareshwar jyotirlinga
mystery of omkareshwar jyotirlinga: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह स्थान न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक ऐसी अलौकिक मान्यता भी है, जो भक्तों को विस्मित कर देती है। कहा जाता है कि इस पावन धाम में हर रात स्वयं भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती शयन के लिए आते हैं, और सोने से पहले वे चौपड़ का खेल भी खेलते हैं। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है।

रात्रि शयन और चौपड़ की दिव्य लीला
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी सबसे अद्भुत और रहस्यमयी मान्यता यह है कि भगवान शिव तीनों लोकों का भ्रमण करके प्रतिदिन रात को इसी मंदिर में शयन करने आते हैं। उनके साथ माता पार्वती भी होती हैं। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि रात्रि के समय मंदिर के पट बंद होने के बाद, भोलेनाथ और माता पार्वती यहाँ चौसर (चौपड़) का खेल खेलते हैं।

इस मान्यता के चलते, मंदिर में प्रतिदिन रात्रि में पंडित के अलावा किसी को शामिल होने की अनुमति नहीं है। शयन आरती के बाद, गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग के सामने चौपड़-पांसे की बिसात सजाई जाती है। सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो कई बार चौसर और उसके पासे कुछ इस तरह से बिखरे मिलते हैं, जैसे रात्रि के समय उन्हें किसी ने खेला हो। यह दृश्य भक्तों के विश्वास को और भी पुख्ता करता है। यह एक ऐसा रहस्य है जिसे विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है, और यह सिर्फ़ श्रद्धा और आस्था का विषय है।

ओंकारेश्वर और ममलेश्वर: एक ही ज्योति का दो रूप
ओंकारेश्वर द्वीप नर्मदा नदी के मध्य में 'ॐ' के आकार में स्थित है, और यहीं पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान है। नर्मदा के दक्षिणी तट पर ममलेश्वर मंदिर स्थित है, जिसे प्राचीन काल में अमरेश्वर के नाम से जाना जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपने ओंकारेश्वर नामक लिंग के दो भाग किए थे, जिनमें से एक ओंकारेश्वर और दूसरा ममलेश्वर कहलाया। दोनों शिवलिंगों का स्थान भले ही अलग हो, लेकिन उनकी सत्ता और स्वरूप एक ही माना जाता है। शिवपुराण में इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।

इस स्थान पर ध्यान और पूजा करने से मन को शांति और आध्यात्मिक बल मिलता है। यह माना जाता है कि ओंकारेश्वर में नर्मदा स्नान और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना सभी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती हैं। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत आस्था का प्रतीक है, जहाँ लाखों भक्त दूर-दूर से इस चमत्कारिक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आते हैं, यह विश्वास लेकर कि यहाँ आने से उनके सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 

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