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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 11 जून 2025 (18:14 IST)

क्यों प्रसिद्द है गुवाहाटी का कामाख्या देवी मंदिर, तांत्रिकों के लिए क्यों माना जाता है विशेष

kamakhya devi temple guwahati assam
kamakhya devi temple guwahati assam: गुवाहाटी, असम की नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे 'महापीठ' का दर्जा प्राप्त है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने रहस्यमय और तांत्रिक महत्व के लिए भी दुनिया भर में जाना जाता है।

सती का कौन सा अंग गिरा था?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े किए। जिन-जिन स्थानों पर सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। कामाख्या में माता सती का योनि भाग गिरा था। यही कारण है कि इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक कुंड की पूजा की जाती है, जो हमेशा फूलों से ढका रहता है और जिससे लगातार जल निकलता रहता है।

क्या है विशेषता?
  • कामाख्या मंदिर की कई अनोखी और अद्भुत विशेषताएं हैं जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं: यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां देवी की योनि की पूजा की जाती है। यह स्त्री शक्ति और प्रजनन क्षमता का प्रतीक है।
  • हर साल जून के महीने में मां कामाख्या रजस्वला होती हैं। इस दौरान मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। यह अवधि 'अंबुबाची योग पर्व' के रूप में मनाई जाती है, जिसे तंत्र साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी लाल हो जाता है।
  • कामाख्या मंदिर तंत्र-मंत्र और अघोर साधना का सबसे बड़ा केंद्र है। दुनिया भर से तांत्रिक और अघोरी यहां विशेष दिनों में सिद्धियां प्राप्त करने आते हैं।
  • मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक प्राकृतिक रूप से बनी योनि-कुंड है, जिसकी पूजा की जाती है। भक्त यहां आकर एक दिव्य और अलौकिक अनुभव करते हैं। यहां की ऊर्जा और वातावरण भक्तों को अपनी ओर खींचता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां कामाख्या के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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कैसे पहुंचें गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर?
कामाख्या मंदिर गुवाहाटी शहर के केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। यहां तक पहुंचना बेहद आसान है:
हवाई मार्ग: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (गुवाहाटी) है, जो मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। भारत के प्रमुख शहरों से यहां के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग: कामाख्या रेलवे स्टेशन मंदिर से बहुत नज़दीक है। हालांकि, देश के सभी कोनों से कनेक्टिविटी के लिए गुवाहाटी रेलवे स्टेशन (GHY) एक प्रमुख जंक्शन है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या स्थानीय बसें आसानी से मिल जाती हैं, जो आपको मंदिर तक पहुंचा देंगी।
सड़क मार्ग: गुवाहाटी शहर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों से बसों और निजी वाहनों द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। गुवाहाटी शहर से मंदिर के लिए नियमित रूप से टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और सिटी बसें उपलब्ध हैं।

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