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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 12 मई 2025 (17:37 IST)

जब बर्फ की चादर ओढ़ लेता है केदारनाथ, कौन करता है धाम की रक्षा? जानिए भुकुंट भैरव मंदिर के रहस्य

KEDARNATH BHAIRAV TEMPLE DOORS OPENED UTTARAKHAND CHARDHAM YATRA
Shri Bhairavnath Mandir kedarnath: उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में विराजमान केदारनाथ धाम, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, अपनी अद्भुत आध्यात्मिक और प्राकृतिक छटा के लिए विश्वभर में श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दुर्गम यात्रा कर बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। लेकिन जैसे ही सर्दियां दस्तक देती हैं, बर्फ की मोटी परतें इस पूरे क्षेत्र को ढक लेती हैं। ऐसे में, श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। प्रश्न यह उठता है कि जब इंसान भी इस मौसम में यहां नहीं टिक पाता, तो उस दौरान इस पवित्र धाम की रक्षा कौन करता है?

केदारनाथ का क्षेत्रपाल , भुकुंट भैरव मंदिर
इस रहस्यमय प्रश्न का उत्तर छिपा है केदारनाथ धाम से लगभग आधा किलोमीटर दूर स्थित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर में – भुकुंट भैरव मंदिर। यह मंदिर, जिसे केदारनाथ का क्षेत्रपाल भी कहा जाता है, सदियों से स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच गहरी आस्था का केंद्र रहा है। मान्यता है कि जब केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं, तो भगवान भैरव ही इस पूरे क्षेत्र और मंदिर की अलौकिक शक्तियों से रक्षा करते हैं।

भुकुंट भैरव मंदिर: रहस्य और मान्यताएं
भुकुंट भैरव मंदिर का शांत और रहस्यमय वातावरण किसी भी आगंतुक को एक अलग ही अनुभूति कराता है। छोटे से आकार का यह मंदिर, अपनी प्राचीन वास्तुकला और आसपास के नैसर्गिक सौंदर्य के कारण विशेष महत्व रखता है। इस मंदिर से जुड़ी कई रोचक तथ्य और मान्यताएं हैं:

केदारनाथ के क्षेत्रपाल: भुकुंट भैरव को केदारनाथ क्षेत्र का रक्षक माना जाता है। क्षेत्रपाल का अर्थ है क्षेत्र का पालन करने वाला या रक्षक। मान्यता है कि भगवान भैरव अपनी दिव्य शक्तियों से पूरे केदारनाथ क्षेत्र को किसी भी नकारात्मक ऊर्जा और विघ्न से बचाते हैं।

कपाट बंद होने पर विशेष पूजा: जब शीतकाल में केदारनाथ के कपाट बंद होते हैं, तो भुकुंट भैरव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह प्रार्थना भगवान भैरव से पूरे शीतकाल में केदारनाथ धाम की सुरक्षा करने और अगले यात्रा सीजन के लिए शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए की जाती है।


यात्रा से पहले दर्शन: केदारनाथ यात्रा शुरू होने से पहले, कई श्रद्धालु भुकुंट भैरव मंदिर के दर्शन करना शुभ मानते हैं। यह माना जाता है कि भगवान भैरव की अनुमति और आशीर्वाद से यात्रा निर्विघ्न रूप से संपन्न होती है।

पौराणिक कथाएं: इस मंदिर से जुड़ी कई स्थानीय पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जो भगवान भैरव की शक्ति और केदारनाथ क्षेत्र से उनके अटूट संबंध को दर्शाती हैं। हालांकि, इन कथाओं के प्रामाणिक स्रोत सीमित हैं, लेकिन ये लोककथाएं स्थानीय संस्कृति और आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य: भुकुंट भैरव मंदिर एक शांत और रमणीय स्थान पर स्थित है। यहां से केदारनाथ घाटी और आसपास के बर्फ से ढके पहाड़ों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यह प्राकृतिक सौंदर्य भी इस स्थान की आध्यात्मिक महत्ता को और बढ़ाता है।

सर्दियों में जब केदारनाथ धाम पूरी तरह से बर्फ से ढक जाता है और मानवीय गतिविधियां थम जाती हैं, तो यह विश्वास और आस्था ही है जो इस पवित्र स्थान की रक्षा का आश्वासन देती है। भुकुंट भैरव मंदिर, उस अदृश्य शक्ति का प्रतीक है जो कठिन परिस्थितियों में भी केदारनाथ की आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखती है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हिमालय की रहस्यमय और दिव्य शक्तियों का भी प्रमाण है। यदि आप केदारनाथ की यात्रा पर जाएं, तो भुकुंट भैरव मंदिर के दर्शन करना न भूलें।
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