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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 12 जुलाई 2025 (16:41 IST)

पीपल की पूजा के पीछे क्या है लॉजिक, क्या सच में होता है भूत-प्रेत का वास या कुछ और है चमत्कार, जानिए सच्चाई

Peepal tree worship
scientific reason behind peepal tree worship: भारत की संस्कृति और परंपराओं में पेड़ों को हमेशा पूजनीय स्थान मिला है। खासकर पीपल का पेड़, जिसे सनातन धर्म में दिव्यता का प्रतीक माना गया है। पीपल को 'वृक्षों का राजा' कहा जाता है और इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता है। इसकी पूजा करना और उसकी परिक्रमा लगाना सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपा है एक गहरा वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण, जिसे समझना आज के समय में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक आधार
पीपल के पेड़ को धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना जाता है। ग्रंथों में इसे 'बोधिवृक्ष' भी कहा गया है, जिसके नीचे बैठकर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। शनिवार के दिन पीपल की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे शनिदेव से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि पीपल की पूजा करने से शनि दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

लेकिन, इन धार्मिक मान्यताओं के पीछे एक ठोस वैज्ञानिक आधार भी है। पीपल एकमात्र ऐसा पेड़ है जो चौबीसों घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। जहां अधिकांश पेड़ रात में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, वहीं पीपल दिन-रात ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है, जिससे इसके आसपास की वायु शुद्ध और प्राणवायु से भरपूर रहती है। सुबह के समय पीपल के नीचे बैठकर ध्यान या प्राणायाम करने से व्यक्ति को शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है, जो उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह फेफड़ों को मजबूत करता है, रक्त संचार में सुधार करता है और मन को शांति प्रदान करता है।

पीपल के पेड़ में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसकी छाल, पत्ते और फल का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। यह त्वचा रोगों, पाचन संबंधी समस्याओं और श्वसन संबंधी बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है। इसकी छाया भी गर्मी में शीतलता प्रदान करती है, जो इसके आसपास के वातावरण को सुखद बनाती है।

भूत-प्रेत की धारणा का कारण
कुछ मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ के पास भूत-प्रेत का वास माना जाता है। यह धारणा अक्सर लोगों को पीपल के पेड़ के पास जाने से रोकती है, खासकर रात के समय। पीपल के पेड़ पर आत्माओं के वास की मान्यता के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गांव में आज भी घर में नहीं लाया जाता, बल्कि उन्हें पीपल के पेड़ पर लटका दिया जाता है। इसी कारण यह धारणा बन गई कि मृत व्यक्ति की आत्मा पीपल के पेड़ में वास करती है।

लेकिन, इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। यह केवल एक लोकमान्यता है जो शायद लोगों को रात में पेड़ों के पास जाने से रोकने या किसी अन्य सामाजिक कारण से उत्पन्न हुई हो। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पीपल का पेड़ अपने गुणों के कारण सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है, न कि नकारात्मक ऊर्जा का।