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  4. these 5 difficulties have to be faced during the amarnath yatra
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 19 अप्रैल 2025 (12:47 IST)

अमरनाथ यात्रा के बीच इन 5 कठिनाइयों का करना पड़ता है सामना

बाबा अमरनाथ
Amarnath Yatra 2025: समूचा हिमालय शिव शंकर का स्थान है और उनके सभी स्थानों पर पहुंचना बहुत ही कठिन होता है। चाहे वह अमरनाथ हो, श्रीखंड महादेव, केदानाथ हो या कैलाश मानसरोवर। इस बार अमरनाथ यात्रा सिर्फ 39 दिनों की होगी। यह 3 जुलाई से शुरू होगी और 9 अगस्त तक चलेगी। 14 अप्रैल 2025 से इसका रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हो चला है। अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए 2 रास्ते हैं- एक पहलगाम होकर जाता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से जाता है। यानी देशभर के किसी भी क्षेत्र से पहले पहलगाम या बालटाल पहुंचना होता है। इसके बाद की यात्रा पैदल की जाती है। अमरनाथ की यात्रा बहुत कठिन होती है। इस दौरान भक्त को 5 तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।ALSO READ: अमरनाथ यात्रा में रखें ये 10 सावधानी तो रहेंगे सुरक्षित
 
पहलगाम: पहलगाम पारंपरिक मार्ग है, जो लगभग 46 किलोमीटर लंबा है, और इसे पूरा करने में लगभग तीन से पांच दिन लगते हैं। यह मार्ग चंदनवारी, शेषनाग और पंचतरणी जैसे सुरम्य स्थानों से होकर गुजरता है। 
 
बालटाल: यह मार्ग छोटा है, लगभग 14 किलोमीटर, और अधिक चुनौतीपूर्ण है, जिसे अक्सर एक या दो दिन में पूरा किया जाता है। तीर्थयात्री ऊबड़-खाबड़ इलाकों से गुजरते हैं, बर्फीली धाराओं को पार करते हैं और गुफा तक पहुंचने के लिए खड़ी पगडंडियों पर चढ़ते हैं।
 
1. ठंड और बारिश: यात्रा के मार्ग में बर्फिला क्षेत्र होने के कारण यहां का तापमान बहुत कम होता है और कड़ाके की ठंड रहती है। कई बार ऐसा होता है कि जिन्हें ठंड बर्दाश्त नहीं होती है उनके लिए समस्या खड़ी हो जाती है। इसलिए यात्रा पर जाने से पहले ठंड से बचने के लिए उचित कपड़े रख लें। यहां कई बार बारिश होने की संभावना भी रहती है। बारिश के कारण यात्रा और भी ज्यादा कठिन हो जाती है। इसलिए कंबल के अलावा छाता, रेलकोट, वाटरप्रूफ बूट, छड़ी, टार्च, स्लीपिंग बैग आदि रख लें। हो सके तो कुछ पन्नियां रखें जिन्हें भीतर पहनने से ठंड से बचा जा सकता है और साथ ही यह आपको बारिश और बाढ़ से बचने में भी काम आएगी। 
2. ऑक्सिजन: अमरनाथ की यात्रा के मार्ग में कई लोगों को ऑक्सिजन की कमी महसूस होती है ऐसे में सावधानी बरतें। जिन लोगों में आयरन और कैल्शियम की कमी होती हैं उनके शरीर में ऑक्सिजन लेवल भी जल्द ही घट जाता है। कई लोग इसके लिए कर्पूर का उपयोग भी करता है। कर्पूर को नाक के पास लगाकर सूंघा जाता है। हालांकि ऑक्सिजन की कमी महसूस हो तो इसके लिए उन्हें सुरक्षाकर्मी या सेना के लोगों से संपर्क करना चाहिए। यदि आपको लगता है कि आप आगे यात्रा जारी नहीं रख सकते हैं या आपके किसी सदस्य को किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य परेशानी है तो आपको यात्रा स्थगित करके किसी सुरक्षित कैंप में शरण लेना चाहिए।ALSO READ: अमरनाथ की गुफा किसने खोजी और किसने शुरू की थी यात्रा, जानिए पौराणिक प्राचीन इतिहास
 
3. भूस्खलन: यात्रा मार्ग में भूस्खलन या बाढ़ का खतरा भी रहता है। इसलिए तय मार्ग पर ही यात्रा करें और आगे पीछे देखकर यात्रा करें। कई बार बर्फ के गिरने से भी समस्या खड़ी हो जाती है। यात्रा के दौरान अचानक बर्फबारी या भारी बारिश के चलते भूस्खलन होने की संभावना बढ़ जाती है। धुंध जैसी आपदाएं भी हो सकती हैं जो यात्रा के मार्ग को कठिन बनाती है। 
 
4. आतंकवाद: वैसे तो यात्रा के मार्ग में पर्याप्त सुरक्षा रहती है और किसी भी प्रकार से किसी आतंकी हमले का खतरा नहीं रहता है। इसके बावजूद भी किसी संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु से दूरी बनाकर ही रखना चाहिए। यदि कुछ गड़बड़ नजर आए तो इसकी सूचना तुरंत ही सुरक्षाकर्मियों को देना चाहिए।
 
5. चोट लगने का खतरा और ऊंचाई की बीमारी: अमरनाथ गुफा समुद्र तल से लगभग 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यात्रा के दौरान फिसलने, चोट लगने, या अन्य दुर्घटनाओं का खतरा रहता है, खासकर दुर्गम रास्तों पर। ऊंचाई पर होने से ऊंचाई संबंधी बीमारी, हाइपोथर्मिया, मितली, सिरदर्द और गंभीर निर्जलीकरण जैसे जोखिम भी रहते हैं।ALSO READ: अमरनाथ यात्रा के रजिस्ट्रेशन कल से होंगे शुरू, जानिए कैसे करें आवेदन...
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