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Last Modified: जम्मू , रविवार, 21 जुलाई 2024 (14:59 IST)

Amaranth Yatra : रिकॉर्ड तोड़ रही अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्या, 22 दिनों में 4 लाख को छूने लगा आंकड़ा

Amarnath Yatra
The number of Amarnath pilgrims is breaking records : अमरनाथ यात्रा के 22वें दिन गुफा के दर्शन करने वालों की संख्या 4 लाख को छूने लगी थी। यह अब पिछले साल के रिकॉर्ड को पार करने जा रही है। श्रद्धालुओं की रफ्तार को देखते हुए अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड को उम्मीद है कि इस बार यह आंकड़ा 8 लाख को पार कर सकता है। हालांकि सरकारी रिकॉर्ड 2011 की यात्रा में 6.35 लाख के शिरकत करने का है।

2007 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों में इस साल के 22 दिनों के आंकड़े ने पिछले चार साल का रिकॉर्ड जरूर तोड़ दिया है। जबकि अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद थी कि अगर सब सकुशलता से चलता रहा तो इस बार यात्रा एक नया रिकॉर्ड बनाएगी। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 2.63, 5.50, 3.75, 4.59, 6.35, 6.20, 3.53, 3.72, 2.20, 2.60 तथा 2.85 लाख श्रद्धालुओं ने शिरकत की थी।

इतना जरूर था कि अमरनाथ यात्रा में शिरकत करने वाले वे श्रद्धालु अब राहत महसूस कर रहे हैं जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएं आ रही हैं क्योंकि स्वाथ्य विभाग ने यात्रा मार्ग पर पोनी अर्थात खच्चरों पर एम्बुलेंस स्थापित किए हैं जो कुछ ही देर में पीड़ितों के पास पहुंचकर उन्हें राहत दे रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक, यात्रा के दौरान करीब 6000 तीर्थयात्रियों को सांस लेने में तकलीफ हुई थी जिन्हें चिकित्सा सहायता दी गई है। तीर्थयात्रियों को यात्रा के दौरान कोई समस्या न आए इसलिए जिन हजारों जवानों को यात्रा मार्ग में तैनात किया गया है उन्हें इस बार विशेष तौर पर बेसिक पैरा मेडिकल की ट्रेनिंग भी दी गई है। इस तरह की ट्रेनिंग देने का मुख्य उद्देश्य यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की मदद करना है।
वैसे अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग यात्रा के पहले ही सप्ताह में पूरी तरह पिघल गया था पर इसके बावजूद इसमें शामिल होने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। 30 जून को हिमलिंग की ऊंचाई 18 से 20 फीट के बीच थी।

श्राइन बोर्ड के अधिकारी कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग हिमलिंग को प्रभावित कर रही है। वे इससे इंकार करते थे कि गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वर्ष 1996 के अमरनाथ हादसे के बाद नितिन सेनगुप्ता कमेटी की सिफारिश थी कि 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल न होने दिया जाए, पर ऐसा कभी नहीं हो पाया। इस बार 22 दिनों में चार लाख श्रद्धालु गुफा में पहुंचे हैं। इस पर पर्यावरणविद खफा हैं। वे कहते हैं कि यात्रियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि न सिर्फ हिमलिंग को पिघलाने में अहम भूमिका निभा रही है, बल्कि यात्रा मार्ग के पहाड़ों के पर्यावरण को भी जबरदस्त क्षति पहुंचा रही है।

साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के अमरनाथ पहुंचने से हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फुट के रह गया था। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे। साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फुट का था जो अमरनाथ यात्रा के शुरूआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था।
ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे। जबकि साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट का था। लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतर्ध्‍यान हो गए थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था।