1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज पर्व
  4. Hariyali Teej Vrat Katha 2025
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 (17:02 IST)

हरियाली तीज व्रत कथा: सौभाग्य, प्रेम और समर्पण की पावन गाथा

हरियाली तीज: शिव-पार्वती मिलन की पावन कहानी

Hariyali Teej Vrat Katha
Hariyali Teej Vrat Katha:  धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिन महिलाएं तथा कुंवारी कन्याएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, उस तिथि को हरियाली तीज कहा जाता है। इस बार हरियाली तीज व्रत 27 जुलाई, दिन रविवार को मनाया जा रहा है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ता है, अत: इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं। परंतु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं।ALSO READ: श्रावण मास की हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है?
 
हरियाली तीज का व्रत करें  मनचाहे वर के लिए : सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहीं कज्जली तीज, तो कहीं हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। भव‌िष्य पुराण में देवी पार्वती बताती हैं क‌ि तृतीया त‌ि‌‌थ‌ि का व्रत उन्होंने बनाया है ज‌िससे स्त्र‌ियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्त‌ि होती है। सावन महीने में तृतीया त‌िथ‌ि को सौ वर्ष की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान श‌िव को पत‌ि रूप में पाने का वरदान प्राप्त क‌िया था।

आइए यहां जानते हैं हरियाली तीज की पौराणिक कथा: 
 
तीज कथा: 
 
इस व्रत की कथा शिवजी ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज कथास्वरूप सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे। तुम्हारे पिता दुःखी थे। नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं। 
 
पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दु.ख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा।ALSO READ: हरियाली तीज पर कौन कौन से कार्य करते हैं, जानिए महत्व और अचूक उपाय
 
शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे। तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिवजी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से करने को राजी हों। 
 
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: हरियाली तीज का व्रत कब रखा जाएगा, पूजा का समय क्या है?