Hariyali Teej Vrat for husbands long life: हरियाली तीज, जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। हरियाली तीज की पूजा सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले की जाती है। सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं तथा लोकगीत गाते हुए पर्व को मनाती है। इस दिन मुख्य रूप से सुबह और शाम के समय पूजा का विधान है।
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हरियाली तीज पर्व 2025 के शुभ मुहूर्त: Hariyali Teej Shubh Muhurat 2025
हरियाली तीज 2025 की तिथि: 27 जुलाई 2025, रविवार
• श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि का प्रारंभ: 26 जुलाई 2025 को रात 10:41 बजे से।
• तृतीया तिथि का समापन: 27 जुलाई 2025 को रात 10:41 बजे तक।
हरियाली तीज पर सुबह की पूजा के लिए आप 27 जुलाई 2025 को सुबह सूर्योदय के बाद से प्रारंभ कर सकते हैं तथा शाम को प्रदोष काल की पूजा आप सूर्यास्त के बाद कर सकते हैं, क्योंकि यह समय भी पूजा के लिए शुभ होता है।
जानें पूजा का शुभ समय :
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:46 से 05:30 मिनट तक।
- प्रातः सन्ध्या: सुबह 05:08 से 06:14 मिनट तक।
- अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:19 से 01:11 मिनट तक।
- अमृत काल: दोपहर 01:56 से 03:34 मिनट तक।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:55 से 03:48 मिनट तक।
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:16 से 07:38 मिनट तक।
- सायाह्न सन्ध्या: शाम 07:16 से 08:22 मिनट तक।
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:23 से से 28 जुलाई को 01:07 मिनट तक।
- रवि योग: 04:23 पी एम से 28 जुलाई 06:14 ए एम तक।
इस दिन के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार इनमें से किसी भी अच्छे मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं।
हरियाली तीज की पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है। यहां जानें विस्तृत पूजन सामग्री की सूची: Hariyali Teej Puja Samagri List
पूजा सामग्री (भगवान शिव और माता पार्वती के लिए):
• भगवान शिव के लिए:
शिवलिंग (यदि घर में हो)
बेलपत्र
धतूरा
भांग
सफेद फूल (जैसे चमेली, आक के फूल)
गंगाजल
कच्चा दूध
दही
घी
शहद
शक्कर (पंचामृत बनाने के लिए)
चंदन (सफेद)
अक्षत (चावल)
जनेऊ
वस्त्र (पीला या सफेद)
भोग के लिए फल, मिठाई
दीपक और बाती
अगरबत्ती/धूप
कपूर
जल का कलश
पुष्पमाला
• माता पार्वती के लिए (सोलह श्रृंगार की सामग्री):
लाल साड़ी या चुनरी
सिंदूर
मेहंदी
चूड़ियाँ (लाल, हरी)
बिंदी
काजल
महावर (आलता)
कंघी
दर्पण
चोटी (पराग या नकली बालों की चोटी)
बिछिया
पायल
नथ
टीका/मांग टीका
कान की बालियां
हार
अंगूठी
इत्र
गुलाब, गेंदा के सुगंधित फूल
भोग के लिए फल, मिठाई
नारियल
पान-सुपारी
लौंग-इलायची
• चौकी या पाटा (पूजा स्थल के लिए)
• लाल या पीला वस्त्र (चौकी पर बिछाने के लिए)
• मिट्टी या धातु का कलश (जल भरने के लिए)
• आम के पत्ते (कलश सजाने के लिए)
• सप्तधान्य (सात प्रकार के अनाज - चावल, गेहूं, जौ, चना, मूंग, उड़द, तिल)
• दूर्वा घास
• दीपक के लिए तेल/घी
• माचिस
• पूजा की थाली
• कलावा/मौली धागा
• रुई
• शुद्धिकरण के लिए गंगाजल
• धूपदानी
• घंटी
• आरती के लिए थाली
• कथा की पुस्तक
हरियाली तीज पूजन विधि: Hariyali Teej Puja Vidhi
- इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
- हरियाली तीज के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ, सुंदर और सजीले वस्त्र धारण करें।
- उसके बाद भगवान के समक्ष मन में पूजा, व्रत करने का संकल्प लें।
- पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद तोरण से मंडप सजाएं।
- एक चौकी या पटरी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा के साथ उनकी सहेली की प्रतिमा भी बनाएं।
- प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें।
- श्रृंगार का सामान माता पार्वती को अर्पित करें।
- फिर प्रतिमाओं के सम्मुख आवाहन करें।
- माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें।
- शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें।
- हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।
- हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए।
• साथ में जब माता पार्वती की पूजा कर रहे हो तब इन मंत्रों बोलना चाहिए।
* ॐ उमायै नम:,
* ॐ पार्वत्यै नम:,
* ॐ जगद्धात्र्यै नम:,
* ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:,
* ॐ शांतिरूपिण्यै नम:,
* ॐ शिवायै नम:
तथा इन मंत्रों से भगवान शिवजी की आराधना करनी चाहिए।
* ॐ हराय नम:,
* ॐ महेश्वराय नम:,
* ॐ शंभवे नम:,
* ॐ शूलपाणये नम:,
* ॐ पिनाकवृषे नम:,
* ॐ शिवाय नम:,
* ॐ पशुपतये नम:,
* ॐ महादेवाय नम:
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