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Last Updated :लखनऊ , शनिवार, 6 जनवरी 2018 (13:10 IST)

उत्तर प्रदेश में भड़के किसान, विधानभवन के बाहर फेंके आलू

उत्तर प्रदेश में भड़के किसान, विधानभवन के बाहर फेंके आलू - UP farmers dump potatoes in price protest
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने शनिवार तड़के आलू फेंककर किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया। किसानों का कहना है कि आलू का लागत मूल्य ही नहीं निकल पा रहा है, ऐसे में किसानों के सामने बड़ी समस्या उठ खड़ी हुई है।
 
कड़ाके की ठंड के बावजूद किसानों ने तड़के करीब चार बजे विधानभवन के सामने, हजरतगंज, राजभवन के सामने और कुछ अन्य मार्गों पर आलू फेंककर सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
 
किसान नेता राजेन्द्र सिंह का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज का किराया 220 रुपए प्रति क्विंटल है और बाजार में किसान को 150 से 200 रुपए प्रति क्विंटल आलू बेचना पड़ रहा है। ऐसे में किसान के सामने आलू फेंकने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
 
सिंह ने कहा कि सरकार ने समर्थन मूल्य तो घोषित कर दिया लेकिन सरकार आलू कहां खरीद रही है यह किसी को पता नहीं है। उनका कहना था कि अधिकारी केवल आंकड़ों का खेल, खेल रहे हैं। सरकार भी अधिकारियों की सुन रही है। किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
 
उधर, आलू किसानों की समस्याओं को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का कहना है कि किसानों ने लखनऊ के प्रमुख मार्गों पर आलू फेंककर अपना विरोध दर्ज कराया है। इस विरोध को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। किसानों का दर्द सरकार समझ नहीं रही है। किसान बेहाल हैं और सरकार उनके बारे में सोच नहीं रही है।
 
उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील समझे जाने वाले इलाकों में किसान आलू फेंककर चले गए, लेकिन किसी को पता ही नहीं चला। उनका कहना था कि किसानों को कम से कम 1200 रुपए प्रति क्विंटल का दाम मिलना चाहिए। उनका कहना था कि किसानों के प्रति सरकार संवदेनशील नहीं है।
 
इससे इतर, भाजपा का कहना है कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील और सर्तक है। किसानों की समस्याओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। यही कारण है कि पहली बार आलू का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है।
 
भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि विपक्षी दल हर समस्या को लेकर राजनीति शुरू कर देते हैं। राजनीति करने से पहले उन्हें सोचना चाहिए कि गैर भाजपाई दलों की सरकारों में किसानों के लिए क्या किया गया था?
 
पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों को लेकर काफी संवदेनशील हैं। यही कारण है कि गन्ना किसानों के बकाये पैसे का भुगतान युद्धस्तर पर कराया गया। किसानों के हितों के संबंध में कई योजनाएं चालू की गईं।
 
उन्होंने दावा किया कि आलू किसान की समस्याओं का समाधान होगा। आलू का उचित मूल्य किसानों को मिलेगा। बिचौलिये यदि सक्रिय होंगे तो उनकी भूमिका समाप्त की जाएगी। (वार्ता)