मैं दिव्या व्यास सक्सेना आज अपनी अनुभूति शब्दों में नहीं बांध पा रही हूं। ऐसा लगा जैसे बरसों का सपना पूरा हुआ है। जब से भारत जोड़ो यात्रा आरंभ हुई है तब से ही मैं चाहती थी कि सहयात्री बनूं, राहुल जी के साथ कुछ कदम ही सही मगर चलूं।
असल में राजनीति विज्ञान में मेरा एमफिल और पीएचडी है। मैंने उनके पिताजी श्री राजीव गांधी की विदेश नीतियों पर एक थीसिस लिखी थी। तब उनके बारे में खूब पढ़ा, जाना और समझा, धीरे-धीरे गांधी परिवार के करीब होती गई। शोध के दौरान ही मैं बस एक ही सपना देखती थी कि मुझे राजीव जी से मिलना है, बस एक बार और यह दुखद संयोग था कि मेरी थीसिस पूरी भी न हुई और वे एक हादसे में शहीद हो गए। मैं खूब रोई तीन चार दिनों तक मुझसे कोई काम शोध का नहीं हो पाया। फिर मेरी संवेदनाएं श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल जी और प्रियंका जी के साथ इस कदर जुड़ी कि गांधी परिवार की हर खबर को प्रमुखता और चाव से पढ़ने लगी और कांग्रेस की समर्थक होती चली गई।।
राहुल जी की यात्रा ने मेरे उस सपने को फिर हरा भरा कर दिया जो राजीव जी से नहीं मिलने पर मुरझा गया था।
विगत महीने मैंने अपनी पूरी कोशिश इस बात में लगा दी कि मुझे कैसे भी एक बार उनसे मिलना ही मिलना है। राहुल जी ने कुछ देर मेरा हाथ थामा, साथ चले, मैं इस अनुभूति को शब्द नहीं दे सकती। वे बेहद शिष्ट और शालीन हैं। राहुल जी से मिलने का मेरा एक ही मकसद था कि मैं उन्हें बहुत सारी ब्लेसिंग्स देना चाहती थी। मैं यह कहना चाहती थी कि मैं और मेरे जैसे कई देशवासी उनके और कांग्रेस पार्टी के साथ अंतिम सांस तक रहेंगे।
उनके बारे में लिखते या बोलते समय मेरा कंठ अवरूद्ध हो जाता है। आंखें भीग जाती हैं। मेरा उनके और उनके परिवार के प्रति यह अनुराग आज का नहीं है बल्कि अपनी पढ़ाई के दौरान यह उपजा है और आज बहुत प्रगाढ़ हो गया है। मेरे पति नीलेश सक्सेना भी कांग्रेस के समर्थक हैं। मेरी बेटी प्रकृति भी इस बात से बेहद उत्साहित है कि मैं राहुल जी के साथ भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बनी।
मैं राहुल जी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्यप्रदेश आगमन का इंतजार कर रही थी। उज्जैन आगमन पर अगर मैं इस तरह नहीं मिल पाती तो मेरा सपना टूट जाता और मन बहुत दुखी हो जाता लेकिन इसे मेरी इच्छा शक्ति के साथ सितारों का अनुकूल होना भी मान सकते हैं। मैं प्रकांड ज्योतिषाचार्य पद्मभूषण पं.सूर्यनारायण व्यास जी की पुत्री हूं। भाग्य के साथ मेरा कर्म और कोशिश पर पूरा भरोसा है। मैंने दिल की गहराइयों से प्रयास किए तो सितारे भी फेवरेबल हुए। मुझे सफलता मिली। और न सिर्फ मिली बल्कि चमकदार सफलता मिली।
राहुल जी से मिलना इतना आसान भी नहीं था लेकिन अपने मनोबल से मैंने हर बाधा पार की और सब कुछ होता चला गया। रात को 2 बजे ही मैं सांवेर पंहुच गई थी। फिर राहुल जी ने मुझे और मेरे उत्साह को देख खुद यात्रा में शामिल कर लिया। मैंने उन्हें उनकी यशस्वी बहन प्रियंका गांधी के साथ वाली एक तस्वीर भेंट की है।
पिछले दिनों राहुल जी को लेकर कई तरह की बातें मीडिया में कही गई पर राहुल जी ने अपने व्यवहार से सबको बखूबी जवाब दिया है। वे लोगों से जुड़ रहे हैं और लोग भी उनसे जुड़ रहे हैं।
राहुल जी ने 20 मिनट तक साथ चलते हुए मेरा हाथ पकड़ कर मेरे हर शब्द को ध्यान से सुना। मुझे एप्रिशियेट किया। वे मुझे बहुत सौम्य, स्वाभिमानी, सच्चे और संस्कारी लगे।
मेरी इच्छा है कि एक बार वे सत्ता में आएं, अगर वे नहीं भी आते हैं तो भी मेरी सात्विक भावनाएं उनके लिए कभी नहीं बदलने वाली हैं। मैं पूरे मन से दुआएं करती हूं कि एक बार राहुल जी को देश सेवा का अवसर मिले। देश की जनता उन्हें प्यार करती हैं। वे बहुत सरल और संवेदनशील हैं।