Ladakh news in hindi : करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस अर्थात केडीए ने लद्दाख के मुद्दे पर केंद्र सरकार को अब एक और झटका दिया है। उसने 6 अक्टूबर को होने वाली बातचीत में शिरकत करने से इंकार कर दिया है। इससे पहले लेह अपेक्स बाडी अर्थात एलएबी बातचीत के लिए शर्तें रखते हुए बातचीत से पीछे हट चुकी है। नतीजतन नए हालात में न ही लद्दाख मुद्दा सुलझता नजर आ रहा है न ही शांति के लौटने के आसर नजर आ रहे हैं।
लेह अपेक्स बाडी द्वारा केंद्र के साथ बातचीत से हटने के ठीक एक दिन बाद, करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने मंगलवार को कहा कि जब तक प्रमुख मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वह भी सरकार के साथ बातचीत में शामिल नहीं होगा।
एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए, गठबंधन ने 24 सितंबर को लेह में चार नागरिकों की मौत की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की है।
केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने कहा कि गठबंधन तब तक बातचीत की मेज पर नहीं लौटेगा जब तक उनकी प्रमुख मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता, जिनमें हिरासत में लिए गए लोगों की बिना शर्त रिहाई, आगे की गिरफ्तारियों पर रोक और लेह गोलीबारी की घटना की न्यायिक जांच शामिल है।
उन्होंने कुछ वर्गों द्वारा लद्दाखी आवाजों को राष्ट्र-विरोधी करार देने की कोशिश की आलोचना की और कहा कि लद्दाख के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों को ऐसे निराधार आरोपों से खारिज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुक न केवल लद्दाख में, बल्कि पूरे देश में एक सम्मानित व्यक्ति हैं।
केंद्र ने सोमवार को कहा था कि वह लद्दाख मामलों पर बातचीत के लिए और प्रमुख मुद्दों पर केडीए और एबीएल दोनों के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। पर बावजूद इसके लद्दाख का मुद्दा उलझता जा रहा है।
लेह में स्थिति तनावपूर्ण : इस बीच बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के राजधानी शहर लेह में अधिकारियों ने मंगलवार को कर्फ्यू में चार घंटे की ढील देने की घोषणा की, जिससे आवश्यक सेवाएं सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक जारी रहेंगी। पर स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।
एक आदेश के अनुसार, किराना दुकानों, सब्जी विक्रेताओं, हार्डवेयर की दुकानों और अन्य आवश्यक सेवा प्रदाताओं को चार घंटे के लिए अपनी दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है।
लेह में 24 सितंबर को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने के एक हफ्ते बाद प्रतिबंधों में ढील दी गई है, जिसमें कम से कम 4 नागरिक मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे।
विरोध प्रदर्शनों के बाद, अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लेह में कर्फ्यू लगा दिया। गृह मंत्रालय ने कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर अरब स्प्रिंग विद्रोह और नेपाल जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में अपने भाषणों के माध्यम से भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था।
हिंसक झड़पों के ठीक दो दिन बाद, वांगचुक को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और उसी दिन लेह से जोधपुर सेंट्रल जेल स्थानांतरित कर दिया गया।
edited by : Nrapendra Gupta