बसपा का चुनावी प्लान, 2007 के सफल फार्मूले पर चुनाव लड़ेगी मायावती की पार्टी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 को अब मात्र 8 महीने ही बाकी रह गए हैं, जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक आ रहा है सभी पार्टियां जातिगत आधार पर अपने-अपने वोट बैंक को पार्टी की तरफ लाने में जुट गई हैं और ऐसा होना लाजमी भी है जहां सत्ता में काबिज बीजेपी अपनी जीत को 2022 में दोहराने के लिए संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को खुश कर वोटरों को लुभाने में जुटी है।
तो वहीं समाजवादी पार्टी व कांग्रेस भी संगठन को मजबूती देने के साथ-साथ अन्य वर्ग के वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने के लिए रात-दिन काम कर रहे हैं।ऐसे में बहुजन समाज पार्टी ने भी 2007 में मिली जीत को जीत का मूल मंत्र मानते हुए अपने वोट बैंक के साथ-साथ अब ब्राह्मणों को रिझाने का काम शुरू कर दिया है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने ब्राह्मणों को पार्टी से जुड़ने की जिम्मेदारी सतीशचंद्र मिश्रा को सौंपी है, जिसके चलते 23 जुलाई को राम की नगरी अयोध्या में बीएसपी ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही हैं।
इस सम्मेलन के जरिए ब्राह्मणों को अपनी और जोड़ने का बीएससी का पहला मजबूत कदम माना जा रहा है।पार्टी सूत्र बताते हैं कि इस सम्मेलन के होने से पहले ही लखनऊ में एक बड़ी बैठक बीएसपी प्रमुख ने लखनऊ में यूपी से 200 से ज्यादा ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ताओं को बसपा दफ्तर बुलाया था।यहां पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाई गई।
जिसके बाद तय किया गया कि 23 जुलाई को अयोध्या में सतीशचंद्र मिश्रा के नेतृत्व में ब्राह्मण सम्मेलन कराया जाएगा।बताते चलें कि 2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए आगाज किया था और नतीजा यह रहा था कि बीएसपी ने यूपी के चुनाव में 403 में से 206 सीटें जीतकर और 30 फीसदी वोट के साथ सत्ता हासिल करके देश की सियासत में तहलका मचा दिया था।
बसपा 2007 का प्रदर्शन कोई आकस्मिक नहीं था बल्कि उसके पीछे मायावती की सोची-समझी रणनीति थी। प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही कर दी गई थी। 100 से ज्यादा ब्राह्मण नेताओं को टिकट दिया गया,अधिकतर उम्मीदवार चुनाव जीत कर भी आए थे।