पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने सोमवार को अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया तथा बीमार चल रहे अपने 2 मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर कर 2 नए चेहरों को जगह दी है। हाल के समय में गोवा की राजनीतिक स्थिति को लेकर अटकलों का बाजार गर्म रहा है।
मंत्रिमंडल में फेरबदल ऐसे समय किया गया है, जब कुछ ही दिन पहले बीमार पर्रिकर की लंबी अनुपस्थिति के मद्देनजर गोवा की राजनीतिक स्थिति पर प्रदेश पार्टी नेताओं और सहयोगी दलों से बातचीत के लिए पार्टी आलाकमान ने 3 केंद्रीय नेताओं को यहां भेजा था।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पर्रिकर के मुख्यमंत्री बने रहने को लेकर जारी अटकलों पर रविवार को विराम लगा दिया था और कहा था कि 62 वर्षीय नेता अपने पद पर बने रहेंगे। विपक्षी कांग्रेस दावा करती रही है कि भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है और उसने विधानसभा में विश्वास मत की मांग की है।
डेढ़ साल में दूसरी बाद फेरबदल करते हुए पर्रिकर ने भाजपा के 2 मंत्रियों फ्रांसिस डिसूजा और पांडुरंग मडकईकर को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया और निलेश काबराल और मिलिंद नाइक को इसमें शामिल किया गया। काबराल और नाइक को राजभवन में एक सादे समारोह में राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने पद और गोपनीयनता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री पर्रिकर शपथ ग्रहण समारोह में नहीं थे, क्योंकि वे अग्नाशय की बीमारी के चलते दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हैं।
डिसूजा शहरी विकास मंत्री थे और मडकईकर बिजली मंत्री थे। डिसूजा फिलहाल अमेरिका के एक अस्पताल में भर्ती हैं जबकि जून में मस्तिष्काघात के बाद से बीमार चल रहे मडकईकर का इलाज मुंबई के एक अस्पताल में चल रहा है।
कैबिनेट से हटाए जाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए डिसूजा ने सवाल किया कि क्या 20 वर्ष तक पार्टी के साथ वफादारी निभाने का उन्हें यह सिला मिला है। डिसूजा पिछले 20 साल से लगातार उत्तरी गोवा जिले की मापुसा सीट से भाजपा की टिकट पर जीत रहे हैं। उनका दावा है कि कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाने से पहले उन्हें विश्वास में भी नहीं लिया गया।
दक्षिण गोवा जिले के मार्मोगुआ निर्वाचन क्षेत्र के विधायक नाइक पूर्ववर्ती लक्ष्मीकांत पारसेकर सरकार में बिजली मंत्री रह चुके हैं जबकि कुरचोरम विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले काबराल पहली बार मंत्री बने हैं। नाइक ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कहा कि जब मुझे सुबह पौने 9 बजे मुख्यमंत्री का फोन आया तब मुझे आश्चर्य हुआ। मुझे बताया गया कि मुझे मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि मंत्री के रूप में उनका पिछला अनुभव उनके पक्ष में गया और मंत्रिमंडल के लिए उन्हें भाजपा विधायकों में से चुना गया। हमें मुख्यमंत्री का भी मार्गदर्शन प्राप्त है। इससे हमें अच्छी तरह काम करने में मदद मिलेगी।
भाजपा राज्य में गोवा फॉरवर्ड पार्टी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, राकांपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही है। भाजपा के 14 विधायक हैं। गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के 3-3 और राकांपा के 1 विधायक हैं। 3 निर्दलीय विधायक भी सरकार के साथ हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विनय तेंदुलकर ने कहा कि किसी को मंत्रिमंडल में शामिल करना (और किसी को बाहर करना) पार्टी और मुख्यमंत्री का निर्णय है। इस बीच गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने कहा कि हमें उनके फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें ऐसा करने के समय हमें विश्वास में लेने की जरूरत नहीं है।
पर्रिकर और उनके 9 मंत्रियों ने 14 मार्च 2017 को शपथ ली थी। पिछले साल अप्रैल में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले मौविन गोडिन्हो और विश्वजीत राणे को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। 16 विधायकों के साथ सबसे बड़े दल कांग्रेस के यह कहने पर कि पर्रिकर सरकार को विश्वास मत हासिल करना चाहिए, भाजपा ने कहा कि सरकार को बहुमत प्राप्त है।