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Last Modified: शनिवार, 29 अगस्त 2020 (18:37 IST)

दिल्लीवासियों को केजरीवाल सरकार की राहत, लगातार छठे साल बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं

दिल्लीवासियों को केजरीवाल सरकार की राहत, लगातार छठे साल बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं - delhi government not increase electricity bill
नई दिल्ली। दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर दिल्लीवासियों के हित में फैसला लेते हुए बिजली टैरिफ में वृद्धि नहीं की है। यह लगातार छठा साल है जब बिजली की दरों में वृद्धि नहीं की गई है। सबसे अहम बाद यह है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) काल में राजस्व में गिरावट के बावजूद दिल्ली सरकार ने उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाला। 
 
दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) ने शुक्रवार को 2020-21 के लिए बिजली की नई दरें घोषित कीं, जिसमें लाखों उपभोक्ताओं को राहत देते हुए कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। उपभोक्ताओं को मात्र 3.80 से 5 प्रतिशत तक पेंशन निधि अधिभार का वहन करना होगा। दिल्ली विद्युत बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन भुगतान के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
 
दिल्लीवासियों को मुख्यमंत्री की बधाई : दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ट्‍वीट कर दिल्ली की जनता को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एक तरफ़ जहां पूरे देश में साल दर साल बिजली की दरें बढ़ रहीं हैं, दिल्ली में लगातार छठे साल बिजली की दर में वृद्धि नहीं की गई और कुछ क्षेत्र में दर कम भी किए। ये एतिहासिक है। ये इसलिए हो रहा है क्योंकि आपने दिल्ली में एक ईमानदार सरकार बनाई। 
 
डीईआरसी ने एक बयान में कहा कि उसने मौजूदा कोविड-19 के हालात को देखते हुए औद्योगिक, सार्वजनिक इकाइयों और घरेलू उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए सितंबर में दिन में अलग-अलग समय पर अलग-अलग दर (टीओडी) के तहत 20 प्रतिशत अधिभार की छूट दी है। इतना ही नहीं मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के मकसद से मशरूम खेती वर्ग में बिजली की दर आयोग ने 6.50 रुपए kWh से घटाते हुए 3.50 रुपए kWh की है। 
दरअसल, जब पड़ोस के दूसरे राज्य बिजली की दरों में लगातार वृद्धि कर रहे हैं, तब अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने लगातार छठे वर्ष बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। केजरीवाल सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से पड़ोसी राज्य भी सीख ले सकते हैं।
 
मुख्‍यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पिछले दिनों कहा था कि दिल्ली सरकार का राजस्व पिछले साल 3500 करोड़ से गिरकर इस वर्ष कोरोना के चलते 300 करोड़ पर आ गया है। इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने दिल्लीवासियों का ध्यान रखते हुए उन्हें राहत प्रदान की और बिजली टैरिफ में वृद्धि नहीं करने का फैसला किया। आम आदमी को सरकार द्वारा सपोर्ट करने की नीति का ही परिणाम है कि सितंबर 2019 में करीब 14 लाख उपभोक्ताओं का बिजली बिल जीरो रहा, वहीं नवंबर-दिसंबर में यह आंकड़ा बढ़कर 26 लाख हो गया। अर्थात इतने लोग बिजली के बिल से मुक्त रहे। 
 
आपको यहां यह बताना जरूरी होगा कि दिल्ली में 0 से 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त प्रदान की जाती है, जबकि 201 से 400 यूनिट तक 50 फीसदी सब्सिडी सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। यदि इस संदर्भ में अन्य राज्यों से तुलना करें तो दिल्ली और दूसरे राज्यों के टैरिफ में अंतर साफ दिखाई देता है। 
 
अन्य राज्यों में प्रति-यूनिट बिजली की दर जैसे कि 100 यूनिट तक 3.5 रुपए और गुजरात में 101-200 यूनिट पर 4.15 रुपए, पंजाब में 100 यूनिट पर 4.49 रुपए और 101- 202 यूनिट पर 6.34 रुपए, गोवा में 100 यूनिट पर 1.5 रुपए और 101-200 यूनिट पर 2.25 यूनिट की दर से राशि वसूल की जाती है। 
 
हाल ही में दिल्ली के पड़ोसी राज्य, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) ने राज्य में बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा की। 150 यूनिट पर बिजली शुल्क 4.9 रुपए से 5.5 रुपए किया गया है, 5.4-300 यूनिट पर 5.4 रुपए से 6 रुपए तक, 301-500 यूनिट पर 6.2 रुपए से 6.5 रुपए और ऊपर की खपत के लिए 6.5 रुपए से 7 रुपये तक।
 
कोरोना महामारी और इसके लगातार लॉकडाउन के कारण वेतन में कटौती हुई थी और लोगों ने घर से काम करना भी शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हमेशा दोहराया है कि AAP सरकार आम जनता का समर्थन करने वाली सरकार है।