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Last Updated : शनिवार, 12 दिसंबर 2020 (19:50 IST)

CBI कस्टडी से गायब हुआ 45 करोड़ रुपए का 103 किलोग्राम सोना, कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

Gold | CBI कस्टडी से गायब हुआ 45 करोड़ रुपए का 103 किलोग्राम सोना, कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की अपराध शाखा-सीआईडी पुलिस को 103 किलोग्राम सोने के गायब हो जाने के मामले की जांच करने का आदेश दिया है। 45 करोड़ रुपए की कीमत को सीबीआई ने यहां एक आयातक के कार्यालय पर छापे के दौरान जब्त किया था। यह सोना उस 400.47 किलोग्राम बहुमूल्य धातु और जेवरात का हिस्सा है जिसे सीबीआई ने 2012 में यहां सुरना कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कार्यालय की तलाशी के दौरान जब्त किया था।
 
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीएन प्रकाश ने शुक्रवार को सीबी-सीआईडी को पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच कराने और 6 महीने के अंदर तहकीकात पूरी करने का आदेश दिया। न्यायालय ने सीबीआई की यह दलील खारिज कर दी कि यदि जांच स्थानीय पुलिस करेगी तो उसकी प्रतिष्ठा को बट्टा लगेगा।
 
इस मामले का संबंध सुरना कॉपोर्रेशन लिमिटेड के परिसमापक की याचिका से है जिसने अदालत से सीबीआई को बाकी 103.864 किलोग्राम सोना वापस देने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। यह सोना सीबीआई के ताला और सील के तहत सुरना कॉर्पोरेशन लिमिटेड की तिजोरियों में रखा था। जब यह मामला सामने आया तब न्यायमूर्ति प्रकाश ने कहा कि यह अदालत इस दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं कर सकती है क्योंकि कानून ऐसे निष्कर्ष की मंजूरी नहीं देता है।
अदालत ने कहा कि सभी पुलिसकर्मियों पर भरोसा किया जाना चाहिए और ऐसा कहना सही नहीं है कि सीबीआई के पास विशेष योग्यता है जबकि स्थानीय पुलिस के पास ऐसी काबिलियत नहीं है। न्यायमूर्ति प्रकाश ने कहा कि हो सकता है कि यह केंद्रीय एजेंसी के लिए अग्निपरीक्षा हो।
 
अदालत ने कहा कि लेकिन उसमें मदद नहीं की जा सकती है। यदि वे सीता की भांति पवित्र हैं, तो वे कुंदन बनकर बाहर आ सकते हैं। यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। केंद्रीय एजेंसी ने अदालत से कहा कि उसने चेन्नई की विशेष प्रधान सीबीआई अदालत को तिजोरियों की 72 चाबियां दी थीं।
 
सीबीआई ने दावा किया कि जब्ती के दौरान सोने की छड़ें एक साथ वजन की गयी थीं लेकिन जब सुरना और एसबीआई के बीच ऋण निस्तारण के लिये नियुक्त परिसमापक को उसे सौंपा गया तब उसे अलग-अलग तौला गया और यही इस विसंगति का कारण है। मामले में मुकदमे के दौरान सीबीआई ने मिनरल्स एंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एमएमटीसी) पर सोने और चांदी के आयात में सुरना की अनुचित पक्षधरता का आरोप लगाया था।
 
हालांकि, बाद में सीबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंची कि इस सोने का भ्रष्टाचार के मामले से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, यह पाया गया कि इसे विदेश व्यापर नीति का उल्लंघन करके आयात किया गया है। इसलिए 2013 में अलग मामला दर्ज किया गया और जब्त सोना नये मामले की फाइल के साथ अंतरित कर दिया गया। (भाषा)