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Last Modified: नई दिल्ली/जयपुर , सोमवार, 11 सितम्बर 2023 (19:03 IST)

राजस्थान में कांग्रेस को झटका, BJP में शामिल हुईं पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा

राजस्थान में कांग्रेस को झटका, BJP में शामिल हुईं पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा - Former MP Jyoti Mirdha joins BJP in Rajasthan
Shock to Congress in Rajasthan : राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस के 2 नेता ज्योति मिर्धा और सवाई सिंह चौधरी सोमवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। प्रदेश की नागौर लोकसभा सीट से सांसद रहीं ज्योति मिर्धा और भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी चौधरी ने भाजपा मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
 
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ज्योति मिर्धा के शामिल होने को राजस्थान सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए एक झटका माना जा रहा है। जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाली ज्योति कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पौत्री हैं। भाजपा महासचिव और राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने ज्योति मिर्धा और चौधरी का पार्टी में स्वागत किया।
 
सिंह ने कहा, ज्योति मिर्धा और सवाई सिंह चौधरी के शामिल होने से भाजपा परिवार को मजबूती मिली है। उन्होंने यह भी कहा, ज्योति मिर्धा बहुत लोकप्रिय नेता हैं। उधर, राजस्थान के खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने पर सोमवार को कहा कि राजनीति किसी की मोहताज नहीं है और इसमें फैसला जनता करती है। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है।
 
खाचरियावास ने जयपुर में कहा, राजनीति में सबको अपना अधिकार है, चुनाव आ रहे हैं तो कोई भाजपा, कोई कांग्रेस में जा रहा है, यह सब देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, राजनीति किसी की मोहताज नहीं, राजनीति में जनता फैसला करती है, ऊपर वाले के आशीर्वाद से फैसला आता है। इस वक्त राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है, जो पूरा देश देख रहा है।
 
खाचरियावास का कहना था, आगे क्या होगा, क्या नहीं, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन ये वे लोग हैं जो सक्रिय नहीं हैं, एक ऐसा भी व्यक्ति होता है जो सक्रिय रहता है, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) सांसद हनुमान बेनीवाल सक्रिय नेता हैं, जिन्होंने विश्वविद्यालय से निकलकर अपनी पार्टी बनाई, लेकिन ज्योति मिर्धा तो कांग्रेस के बैनर तले चुनाव जीतीं।
 
मिर्धा परिवार दशकों तक राजस्थान के मारवाड़ की राजनीति की धुरी रहा है। ज्योति मिर्धा के दादा नाथूराम मिर्धा की कांग्रेस और राज्य की राजनीति में अच्छी पकड़ थी। नाथूराम सांसद और विधायक भी रहे थे। नाथूराम की पोती ज्योति मिर्धा पेशे से चिकित्सक हैं। उन्होंने 2009 में नागौर से लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन वह 2019 का लोकसभा चुनाव हार गईं।
 
नागौर जाट बहुल इलाका है। पिछले कुछ वर्षों में इस इलाके में आरएलपी ने अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नागौर सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल आरएलपी के लिए छोड़ दी थी। आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल इस सीट से विजयी रहे और कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को हार का सामना करना पड़ा। बेनीवाल बाद में तीन विवादित कृषि कानूनों के मुद्दे पर राजग से अलग हो गए।
 
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी सवाई सिंह चौधरी ने भी सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया। चौधरी ने 2018 का विधानसभा चुनाव खींवसर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था। फोटो सौजन्‍य : टि्वटर/एक्स
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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