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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 3 फ़रवरी 2025 (14:56 IST)

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने क्यों की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर भी किया था विरोध

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने क्यों की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग,  राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर भी किया था विरोध - Swami Avimukteshwarananda demands resignation from cm Yogi Adityanath
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में हुई भीषण भगदड़ के बाद ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग की है। महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सरकार ने इस घटना को छिपाने की कोशिश की और संत समाज के साथ धोखा किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने समय पर कार्रवाई नहीं की और लोगों को सही जानकारी नहीं दी।

शंकराचार्य ने लगाए गंभीर आरोप
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार पर निम्नलिखित आरोप लगाए हैं:
  • घटना को छिपाने की कोशिश: सरकार ने भगदड़ की घटना को छिपाने की कोशिश की।
  • संत समाज के साथ धोखा: सरकार ने संत समाज के साथ धोखा किया है।
  • जानकारी नहीं दी: सरकार ने लोगों को सही जानकारी नहीं दी।
  • मुख्यमंत्री की नाकाबिली: योगी आदित्यनाथ इस घटना को संभालने में नाकाम रहे हैं।
शंकराचार्य की मांग
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि सरकार को तत्काल एक सक्षम व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद कौन हैं?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य हैं। वे हिंदू धर्म के एक प्रमुख संत हैं और उनके विचारों को काफी महत्व दिया जाता है। वे अक्सर सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं।

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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का भी किया था विरोध
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का विरोध कई कारणों से किया था:
  • शास्त्रीय आधार: उन्होंने तर्क दिया कि शास्त्रों के अनुसार मंदिर निर्माण के कुछ विशेष नियम होते हैं। इन नियमों का पालन किए बिना प्राण प्रतिष्ठा करना अनुचित है।
  • अधूरा मंदिर: शंकराचार्य का मानना था कि राम मंदिर अभी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ था। ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा करना उचित नहीं था।
  • राजनीतिकरण: उन्होंने आरोप लगाया कि राम मंदिर का मुद्दा राजनीतिकरण हो गया है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।
  • समय और तारीख: शंकराचार्य ने सवाल उठाया कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुनी गई तिथि और समय शास्त्रों के अनुसार शुभ नहीं है।