यह देवी ललिता को समर्पित है, जिन्हें दस महाविद्याओं में से एक और देवी सती का ही एक रूप माना जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में अधिक प्रचलित है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और देवी की आराधना करते हैं। वर्ष 2025 में, उपांग ललिता व्रत 26 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
उपांग ललिता व्रत 2025 कब है: ललिता पंचमी के शुभ मुहूर्त- Upang Lalita Vrat 2025 start and end time
पंचमी तिथि प्रारंभ: 26 सितंबर 2025 को सुबह 09:33 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 27 सितंबर 2025 को दोपहर 12:03 बजे तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:48 ए एम से 12:36 पी एम
महत्व :
देवी ललिता का स्वरूप: देवी ललिता को त्रिपुरा सुंदरी, षोडशी और राजेश्वरी के नामों से भी जाना जाता है। उन्हें सुंदरता, शक्ति और सौभाग्य की देवी माना जाता है।
पूजा: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप के साथ-साथ देवी ललिता और भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है।
पौराणिक मान्यता: पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ललिता का प्राकट्य कामदेव के शरीर की राख से उत्पन्न हुए 'भांडा' नामक राक्षस को मारने के लिए हुआ था। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
परंपरा और पूजा विधि:
स्नान और संकल्प: उपांग ललिता व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद देवी ललिता की पूजा और व्रत का संकल्प लें।
स्थापना: पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी ललिता की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें।
पूजा: देवी को लाल रंग के फूल, लाल वस्त्र, रोली, कुमकुम, अक्षत और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
पाठ और जाप: इस दिन 'ललिता सहस्त्रनाम' और 'ललिता त्रिशती' का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः' मंत्र का जाप करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
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