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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 (13:57 IST)

Mahavir Nirvan Diwas 2025: महावीर निर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें जैन धर्म में दिवाली का महत्व

Mahavir Nirvan Diwas 2025
Mahavir Swami Nirvan Festival: भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे, जिन्होंने अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीने का संदेश दिया। कार्तिक अमावस्या के दिन उन्होंने पावापुरी (बिहार) में मोक्ष प्राप्त किया था। यही दिन महावीर निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो जैन समुदाय के लिए दिवाली से भी अधिक पवित्र माना जाता है। इस दिन देशभर के जैन मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं, भक्ति, ध्यान और दान के कार्यक्रम होते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वर्ष 2025 में महावीर स्वामी निर्वाणोत्सव दिवस 21 अक्टूबर, दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।ALSO READ: Diwali 2025: लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार, इन सुंदर शुभकामनाओं को भेजकर अपनों को कहें शुभ दीपावली
 
1. निर्वाण का कारण और तिथि:- 
 
• कौन थे महावीर स्वामी? भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे, जिन्होंने लगभग 2500 वर्ष पूर्व (ईसा से 527 वर्ष पूर्व) सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों का प्रचार किया तथा मार्ग दिखाया। उनका जीवन मोक्ष की प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि के मार्ग पर केंद्रित था।
 
• तिथि: भगवान महावीर को कार्तिक मास की अमावस्या (जिस दिन दीपावली मनाई जाती है) की रात्रि को बिहार स्थित पावापुरी में मोक्ष (निर्वाण) की प्राप्ति हुई थी।
 
• निर्वाण का अर्थ: जैन धर्म में 'निर्वाण' का अर्थ जन्म और मरण के चक्र से पूरी तरह मुक्त होकर अनंत सुखमयी मोक्ष की प्राप्ति करना है।
 
2. दीपावली मनाने का कारण (इतिहास): भगवान महावीर के निर्वाण के समय, 18 राजाओं सहित कई गण-प्रमुखों और देवताओं ने यह कहते हुए दीपक जलाए थे कि 'आज ज्ञान का प्रकाश बुझ गया है, अतः हम उस प्रकाश की याद में दीपक जलाएंगे।' तभी से, जैन धर्मावलंबी इस महान घटना की स्मृति में प्रतिवर्ष दीपों की मालिका (कतार) सजाकर दीपमालिका (दीपावली) पर्व मनाते हैं, जो ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है।ALSO READ: Diwali numerology secrets: अंक शास्त्र का रहस्य, दिवाली पर धन को आकर्षित करने वाले अचूक नुस्खे
 
3. जैन दीपावली की पूजा विधि और परम्पराएं: 
• गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान: दीपावली की अगली सुबह (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा, जिसे हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा कहते हैं), भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य गौतम गणधर स्वामी को कैवल्य ज्ञान (पूर्ण ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी। इसलिए यह पर्व दोहरी खुशी का प्रतीक है।
 
• निर्वाण लाडू: इस दिन जैन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान महावीर को 'निर्वाण लाडू' चढ़ाया जाता है। यह लाडू गोल होता है, जिसका कोई आरंभ या अंत नहीं होता, जो मोक्ष की अनंतता का प्रतीक है।
 
• उपवास और तपस्या: जैन धर्मावलंबी इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान महावीर के त्याग तथा तपस्या को याद करते हैं। वे आध्यात्मिक उन्नति पर जोर देते हैं।
 
• व्यवसाय की शुरुआत: कई जैन व्यापारी दीपावली के दिन शाम को नए बही-खातों (लेखा-जोखा) का मुहूर्त करते हैं और शुभ कार्य शुरू करते हैं।
 
• मंत्र जाप: इस दिन विशेष रूप से 'ॐ ह्रीं श्रीं अर्हं महावीर जिनेन्द्राय नमः' या 'ॐ श्री महावीराय नमः' मंत्र का जाप किया जाता है।
 
• वीर निर्वाण संवत् आरंभ: इसी दिन से जैन कैलेंडर में 'वीर निर्वाण संवत्' का भी आरंभ होता है, जो भारत के सबसे प्राचीन संवतों में से एक है।
 
महावीर निर्वाण दिवस विशेष अर्घ्य: इस दिन निम्न मंत्र से अर्घ्य प्रदान करें-
 
ॐ ह्रीं कार्तिक कृष्ण अमावस्यां मोक्ष मंगल
प्राप्ताय श्री महावीर जिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामिति स्वाहा।
 
इसके पश्चात लड्डू अर्पित करें।
 
ॐ ह्रीं कार्तिक कृष्ण अमावस्यां मोक्ष मंगल
प्राप्ताय श्री महावीर जिनेन्द्राय नैवेद्यं निर्वपामिति स्वाहा।
 
भगवान महावीर स्वामी को अधिक से अधिक लड्डू अर्पित करें एवं पूजन के पश्चात अपने सगे-संबंधियों एवं मित्रों के अधिक से अधिक घरों पर वितरित करें। दीपावली के दिन दीये जलाकर व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं घर को आलौकित करें।
 
संक्षेप में कहा जाए तो, जैन धर्म में दीपावली ज्ञान के प्रकाश, त्याग और मोक्ष की विजय का पर्व है। यह बाहरी लक्ष्मी पूजा की बजाय आंतरिक शुद्धिकरण और ज्ञान-रूपी परम-लक्ष्मी यानी कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति पर केंद्रित है।
 
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