Hanuman Jayanti 2025: 19 अक्टूबर 2025 की शाम को नरक चतुर्दशी की पूजा होगी और 20 अक्टूबर को प्रात: रूप चौदस का अभ्यंग स्नान होगा। नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृष्ण, यमदेव और भगवान हनुमानजी की पूजा होती है। हनुमानजी की पूजा विशेषकर होती है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी नरक चतुर्दशी को हनुमानजी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन का खास महत्व माना गया है।
नरक चतुर्दशी पर हनुमानजी की पूजा का महत्व
तिथि- नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी)
विशेष: पूजा भगवान श्रीकृष्ण, यमदेव और विशेषकर हनुमानजी की पूजा।
कारण (दक्षिण भारत) कुछ राज्यों में मान्यता है कि हनुमानजी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था।
अन्य मान्यताएं:
1. माता सीता ने हनुमानजी को इसी दिन अमरता का वरदान दिया था।
2. यह तिथि हनुमानजी के विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
पूजा का लाभ: सभी प्रकार के संकटों का टलना और निर्भिकता का जन्म होना।
अन्य जयंती तिथियां: उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा, तमिलनाडु/केरल में मार्गशीर्ष अमावस्या, ओडिशा में वैशाख का पहला दिन।
हनुमानजी की पूजा विधि और नियम
पूजा का सही क्रम:
1. तैयारी: प्रात: स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. स्थापना: हनुमानजी की मूर्ति/चित्र को लाल/पीले कपड़े बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। कुश के आसन पर शुद्ध वस्त्र पहनकर बैठें।
3. पूजा: मूर्ति को स्नान कराएं या चित्र साफ करें। धूप, दीप जलाकर पूजा शुरू करें।
4. अर्पण: अनामिका अंगुली से तिलक, सिंदूर, गंध, चंदन, हार-फूल चढ़ाएं।
5. नैवेद्य: पंचोपचार पूजा के बाद भोग (नमक, मिर्च, तेल रहित) अर्पित करें।
6. समापन: आरती उतारें और प्रसाद सभी को बाँट दें।
पूजा के नियम और सावधानियां
1. शुद्धता: पूजा स्थल और मन की पवित्रता रखें।
2. मुहूर्त: विशेष मुहूर्त में या केवल सुबह-शाम को ही पूजा करें।
3. वस्त्र: पूजा के दौरान सिर्फ एक वस्त्र पहनें और कुश के आसन का उपयोग करें।
4. दीप/बाती: चमेली के तेल या शुद्ध घी का दीपक जलाएं। बाती लाल सूत (धागे) की होनी चाहिए।
5. फूल: पूजा में लाल रंग के फूलों का प्रयोग करें।
6. प्रसाद: गुड़-चना अनिवार्य रूप से अर्पित करें। (केसरिया बूंदी, बेसन लड्डू आदि भी चढ़ा सकते हैं)। भोग शुद्ध घी में बना हो।
7. वर्जित: पूजा से एक दिन पहले से मांस, मदिरा, ब्रह्मचर्य का पालन करें।
8. अनावश्यक: हनुमान पूजा में तुलसी, चरणामृत या पंचामृत का उपयोग न करें।
9. महिलाओं के लिए: महावारी के दौरान पूजा न करें। वस्त्र, जनेऊ या चोला अर्पित न करें।
10. अन्य: पूजा में व्यवधान न हो। सूतककाल में पूजा न करें। तांत्रिक पूजा न करें।