शहीद करकरे के बीमा दावे पर कंपनी का स्पष्टीकरण
मुंबई। बाइस जनवरी, 2013 को एलआईसी सूत्रों के हवाले से एक खबर छापी गई थी कि एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने स्वर्गीय पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के बीमा दावे को नकार दिया है। इस संबंध में एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ ने दावा किया है कि यह महज एक अफवाह है और कंपनी ने श्री करकरे के दावे को सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर निपटा दिया था और कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने बीमित राशि का चेक दिवंगत करकरे के नॉमिनी को चार दिसंबर, 2008 को ही सौंप दिया था।एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ का कहना है कि उनके तत्कालीन कार्यकारी निदेशक और एजेंसी के प्रमुख ने स्वर्गीय करकरे के दावे का चेक निजी तौर पर सौंपा था। उल्लेखनीय है कि एलआईसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि स्वर्गीय करकरे ने दो बीमा पॉलिसियां ली थीं, जिनमें से एक एलआईसी की दादर शाखा से ली गई थी जो कि 25 लाख रुपए के लिए थी और जिसकी नॉमिनी उनकी पत्नी थीं।कंपनी ने केवल पांच दिन में उनकी बीमित राशि का भुगतान कर दिया, लेकिन एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ ने उनका दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि गोलीबारी के क्षेत्र में घुसकर श्री करकरे ने अपने जान को जोखिम में डाला था इसलिए उनकी बीमित राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है। एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि इस झूठे दावे को उन्होंने बहुत गंभीरता से लिया है और उन्होंने अपने कारोबारी प्रतियोगियों और संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी नोटिस भेजा है और कहा है कि एलआईसी अपने संबंधित एजेंटों या कर्मचारियों पर समुचित कार्रवाई करे।