क्या गुजरात और हिमाचल के चुनाव करीब आते ही कम होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?
देश में पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर एक बार फिर चर्चा का दौर तेज हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पिछले 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। क्रूड ऑयल के दामों में कीमतों में भारी गिरावट के बाद अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होंगे। ऐसे में जब क्रूड ऑयल 92 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास ट्रेंड कर रहा है, इसके बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर हैं।
पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने के कयासों के बीच शनिवार को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हाल-फिलहाल पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने जा रहे है।एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में हरदीप पुरी ने कहा कि विकसित देशों में जहां जुलाई-अगस्त के बीच ईंधन की कीमतों में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ, वहीं भारत मे करीब 2.12 फीसदी दाम कम हुए, ऐसे में तेल कंपनियों को नुकसान हुआ। अब कंपनियां नुकसान की भरपाई करने के लिए दामों को बढ़ाने का काम जारी रख सकती हैं।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारतीय तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की दामों में ज्यादा कटौती नहीं करने वाली है। तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई के लिए अभी और समय चाहिए।
पेट्रोलियम मंत्री के नुकसान के भरपाई के लिए अभी और समय के बयान के बाद ये तय हो गया है कि हाल-फिलहाल पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने जा रहे है लेकिन पेट्रोलियम मंत्री के अभी और समय चाहिए का बयान आगे दाम करने होने का भी इशारा करता है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह समय गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव का होगा।
अगर चुनाव और पेट्रोल-डीजल के कीमतों के कनेक्शन की बात करें तो एक अजीब संयोग नजर आता है। पिछले साल नवंबर 2021 में जब हिमाचल के उपचुनावों कांग्रेस की जीत हुई और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा तो 2 नवंबर को आए नतीजों के अगले दिन ही 3 नंवबर को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती का बड़ा एलान हुआ है और दाम डीजल 5 रुपए और पेट्रोल 10 रुपए एक झटके में सस्ता हो गया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उपचुनाव में हार के लिए महंगाई के साथ भाजपा नेताओं ने खुद पेट्रोल और डीजल के रिकॉर्ड दाम को चुनाव में हार का बड़ा कारण बताया था।
वहीं पिछले साल 2021 में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगल और केरल में विधानसभा चुनाव हुए तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक लग गया था। वहीं चुनाव नतीजों के बाद दाम बढ़ने लगे थे। वहीं वर्ष 2020 में बिहार चुनाव में करीब तीन माह तक दाम स्थिर रहे थे।
फिलहाल कुछ दिन और अभी पेट्रोल और डीजल की कीमत स्थिर रह सकती है। ज्यादा संभावना यह है कि दाम कम हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल की कीमतों में कमी आई है। वहीं, महंगाई से लोग परेशान हैं। ऐसे में तेल कंपनियां उपभोक्ताओं पर और बोझ नहीं डालना चाहती।
वहीं उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल मई में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी कम करने के साथ राज्य सरकारों के साथ वैट घटाने का अनुरोध किया था जिसके बाद भाजपा शासित राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाय़ा था जिससे पेट्रोल की कीमतों में कमी आई थी।