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Last Updated : मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025 (19:05 IST)

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को क्यों नहीं दिया मृत्युदंड, कोर्ट ने बताया बड़ा कारण

न्यायमूर्ति कावेरी बावेजा ने कहा- सज्जन कुमार की वृद्धावस्था, बीमारियों को देखते हुए उन्हें मौत की सजा नहीं दी गई, हालांकि उनके अपराध निंदनीय और क्रूर थे

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को क्यों नहीं दिया मृत्युदंड, कोर्ट ने बताया बड़ा कारण - Why Congress leader Sajjan Kumar was not given death penalty, court told big reason
Congress leader Sajjan Kumar sentenced to life imprisonment: दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्या के एक मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि कुमार की वृद्धावस्था और बीमारियों को देखते हुए उन्हें मृत्युदंड के बजाय कम कठोर सजा दी गई है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने एक नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़े मामले में यह फैसला सुनाया।
 
न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि कुमार ने जो अपराध किए, वे निस्संदेह क्रूर और निंदनीय थे, लेकिन उनकी 80 साल की उम्र और बीमारियों सहित कुछ ऐसे कारक भी थे, जो उन्हें मृत्युदंड के बजाय कम कठोर सजा देने के पक्ष में थे। भारतीय कानून में हत्या के अपराध के लिए अधिकतम मृत्युदंड, जबकि न्यूनतम उम्रकैद की सजा देने का प्रावधान है। ALSO READ: दिल्ली के कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगों के मामले में उम्रकैद
 
जेल में संतोषजनक आचरण : उन्होंने अदालत ने कहा कि जेल प्राधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक अपराधी का ‘संतोषजनक’ आचरण, जिन बीमारियों से वह पीड़ित है, यह तथ्य कि अपराधी की समाज में जड़ें हैं और उसमें सुधार एवं पुनर्वास की गुंजाइश उन कारकों में शामिल हैं, जो मेरी राय में फैसले को मृत्युदंड के बजाय आजीवन कारावास की सजा के पक्ष में झुकाते हैं। अदालत ने कहा कि 'कुमार के व्यवहार को लेकर कोई शिकायत सामने नहीं आई है' और जेल प्राधिकारियों की रिपोर्ट के हिसाब से उनका आचरण 'संतोषजनक' था।
 
न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि यह मामला उसी घटना का हिस्सा है और इसे उसी घटना की निरंतरता के रूप में देखा जा सकता है, जिसके लिए कुमार को 17 दिसंबर 2018 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने कुमार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों की एक घटना के दौरान 5 लोगों की मौत का दोषी ठहराया था। ALSO READ: 41 साल बाद कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार दोषी करार, सिख दंगों में था हाथ
 
मृत्युदंड उचित नहीं : न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि मौजूदा मामले में दो निर्दोष व्यक्तियों की हत्या यकीनन कोई कम बड़ा अपराध नहीं है, लेकिन मेरी राय में उपरोक्त परिस्थितियां इसे ‘दुर्लभतम से भी दुर्लभतम मामला’ नहीं बनातीं, जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाना उचित हो। उन्होंने कहा कि कुमार को उस भीड़ का हिस्सा होने के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, जिसने पीड़ितों के घर को आग के हवाले कर दिया था, उनका सामान लूट लिया था और परिवार के दो सदस्यों की 'निर्मम हत्या' कर दी थी।
 
जेल रिपोर्ट का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि खराब स्वास्थ्य के कारण कुमार अपनी दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने दोषी की मनोवैज्ञानिक और मानसिक मूल्यांकन रिपोर्ट पर गौर किया, जिससे पता चलता है कि वह सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन, यूरोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग में उपचाराधीन था और उसे अवसाद रोधी तथा नींद की दवाएं सुझाई गई थीं।
 
2.40 लाख का जुर्माना : न्यायमूर्ति बावेजा ने कहा कि कुमार में मानसिक बीमारी के कोई लक्षण या संकेत नहीं दिखे हैं और उन्हें फिलहाल किसी मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कुमार पर लगभग 2.40 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कुमार की सभी सजाएं एक साथ चलाने का आदेश दिया।
 
हिंसा और उसके बाद की स्थिति की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में दंगों के सिलसिले में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जिनमें लगभग 240 प्राथमिकी को पुलिस ने 'अज्ञात' बताकर बंद कर दिया और 250 मामलों में आरोपी बरी हो गए। 587 प्राथमिकी में से केवल 28 मामलों में ही सजा हुई और लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।
 
उस समय एक प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद रहे सज्जन कुमार पर 1984 में एक और दो नवंबर को दिल्ली की पालम कॉलोनी में 5 लोगों की हत्या के मामले में आरोप लगाया गया था। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और फैसले को चुनौती देने वाली उनकी अपील सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। दो अन्य मामलों में कुमार को क्रमश: बरी किए जाने और उनकी आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ दो याचिकाएं दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च अदालत के समक्ष लंबित हैं। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala