दिल्ली के कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगों के मामले में उम्रकैद
Life imprisonment to Congress leader Sajjan Kumar: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले 12 फरवरी को सज्जन कुमार को एक नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में हुई हिंसा के दौरान जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिया था। कांग्रेस नेता के खिलाफ दो और मामले दर्ज हैं। इससे पहले कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया था। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने एक नवंबर, 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में हत्या के मामले में सज्जान कुमार के खिलाफ सजा सुनाई है।
अदालत के बाहर सिख समुदाय का प्रदर्शन : फैसले से पूर्व अदालत परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे गुरलाद सिंह ने कहा कि अब चार दशक बीत चुके हैं और न्यायपालिका का यह कथन है कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार है। हम सज्जन कुमार के लिए केवल मृत्युदंड की अपील करते हैं। सिंह ने कहा कि यह अपराध दुर्लभतम श्रेणी में आता है, क्योंकि 1984 के दंगे एक पूर्व नियोजित नरसंहार थे।
उन्होंने कहा कि सिख समुदाय अब भी अपने प्रियजनों की मौत का शोक मना रहा है और उम्मीद है कि सजा सुनाए जाने से पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय मिलेगा। कोर्ट ने कुमार के खिलाफ खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए 16 दिसंबर, 2021 को आरोप तय किए थे। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए घातक हथियारों से लैस एक विशाल भीड़ ने बड़े पैमाने पर लूटपाट एवं आगजनी की तथा सिखों की संपत्ति को नष्ट किया।
एक और मामले में मिल चुकी है सजा : सज्जन कुमार को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-I क्षेत्र में 1-2 नवंबर, 1984 को 5 सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-II में एक गुरुद्वारा जलाने के मामले में भी उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है। 2 अन्य मामलों में निचली अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दायर 2 अन्य अपीलें भी हाईकोर्ट में लंबित हैं।
दंगे में 2733 लोगों की हुई थी मौत : उल्लेखनीय है कि 1984 की हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में दंगों के संबंध में 587 प्राथमिकी दर्ज की गईं। दंगों में 2,733 लोगों की मौत हुई थी। कुल मिलाकर लगभग 240 प्राथमिकियों को पुलिस ने 'अज्ञात' बताकर बंद कर दिया था और 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया। फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न अदालतों में लगभग 20 मामले लंबित हैं। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala