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Last Updated : शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025 (00:05 IST)

रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध का भारत पर क्या होगा असर

US sanctions on Russian oil companies
US sanctions on Russian oil companies: रूस की प्रमुख तेल कंपनियों- रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों का भारत पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है। प्रतिबंधों का सीधा असर भारत की सबसे बड़ी निजी रिफाइनरी कंपनियों पर पड़ेगा और इससे भारत को मिलने वाले सस्ते रूसी तेल की मात्रा कम हो सकती है। यदि भारत को महंगा तेल खरीदना पड़ता है, तो इसका असर घरेलू महंगाई पर निश्चित रूप से पड़ सकता है। हालांकि भारत अब वैकल्पिक स्रोतों और ट्रेडर्स के माध्यम से अपनी तेल खरीद को संतुलित करने का प्रयास कर सकता है। हालांकि रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि अमेरिका के ये कदम 'उल्टा असर' डालेंगे और रूस से ज्यादा वैश्विक अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे।
 
दरअसल, रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद भारत को इन रूसी कंपनियों से भारी रियायती दरों पर कच्चा तेल मिल रहा था। प्रतिबंधों के कारण भारत के लिए सीधे इन कंपनियों से रियायती दर पर तेल खरीदना या पेमेंट करना मुश्किल हो जाएगा। भारत को अब वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं (जैसे मध्य पूर्व या अफ्रीका) से तेल खरीदना पड़ सकता है, जो तुलनात्मक रूप से महंगा हो सकता है। इससे देश का आयात बिल बढ़ सकता है और देश में महंगाई का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
 
रिफाइनरियों पर दबाव : रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध के चलते सबसे ज्यादा असर निजी रिफाइनरियों- विशेषकर रिलायंस इंडस्ट्रीज पर पड़ सकता है। क्योंकि ये कंपनियां रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदती थीं, इसलिए इन्हें अपनी खरीद रणनीति बदलनी पड़ सकती है या अन्य स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है।
 
हालांकि सरकारी रिफाइनरियां फिलहाल ट्रेडर्स (बिचौलियों) के माध्यम से खरीद जारी रख सकती हैं, लेकिन भविष्य में उन पर भी प्रतिबंधों का दबाव आ सकता है। प्रतिबंधों के कारण भारत को अपने तेल स्रोतों में विविधता लानी पड़ सकती है, जो दीर्घकाल में ऊर्जा सुरक्षा के लिए अच्छा है, लेकिन निकट भविष्य में चुनौती पूर्ण होगा।
 
इतना ही नहीं, यदि प्रतिबंधों के कारण वैश्विक बाजार से रूसी तेल की बड़ी मात्रा बाहर हो जाती है, तो कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। तेल की ऊंची कीमतों से भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। इन प्रतिबंधों से भारत पर रूसी तेल खरीद कम करने का दबाव और बढ़ जाएगा, जिससे भारत के लिए अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय हित के बीच संतुलन बनाना कठिन हो जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा। हालांकि यह धीरे-धीरे होगा।
 
क्या कहा रूस ने : रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि अमेरिका के दंडात्मक कदम रूस को उसके राष्ट्रीय हितों पर समझौता करने के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि रूस बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह बातचीत कूटनीतिक माध्यमों से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम यूक्रेन संघर्ष के समाधान की दिशा में किसी सार्थक वार्ता की संभावना को और कठिन बना देगा। उन्होंने कहा कि रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रति एक मजबूत प्रतिरोध क्षमता विकसित कर ली है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala