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Last Updated : शनिवार, 16 नवंबर 2024 (12:35 IST)

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार की पॉवर पॉलिटिक्स का कितना असर?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार की पॉवर पॉलिटिक्स का कितना असर? - What is the impact of Sharad Pawar power politics in Maharashtra Assembly elections?
महाराष्ट्र विधानसभा को लेकर अब चुनाव प्रचार अंतिम पड़ाव की ओर है। 20 नवंबर को महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर एक साथ वोटिंग की जाएगी। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद 288  सदस्यों के साथ देश की तीसरी बड़ी विधानसभा में कौन सा गठबंधन बहुमत हासिल कर पाएगा, इस पर सबकी निगाहें हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में जिस तरह से भाजपा को झटका लगा है उसके बाद इस बार विधानसभा चुनाव जीत का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

शरद पवार की पॉवर पॉलिटिक्स- महाराष्ट्र की राजनीति में करीब सात दशकों से पॉवर सेंटर के रूप में स्थापित 84 साल के शरद पवार संभवत अपनी सक्रिय राजनीति की आखिरी लड़ाई लड़ रहे है। खुद शरद पवार ने चुनाव प्रचार के बीच में ही चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का एलान भी कर इसका इशारा भी कर  दिया है। वहीं महाराष्ट्र की राजनीति में कई बार सरकार बनाने और बिगाड़ने में अहम रोल निभाग चुका पवार परिवार की पॉलिटिक्स पर इस समय सबकी नजर है।
शरद पवार जहां चुनाव के बाद अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा जता रहे है वहीं पहली बार उनके भतीजे अजीत पवार विपक्षी खेमे में रहकर चाचा के एकछत्र सियासत को चुनाती देने की कोशिश कर रहे है। शुक्रवार को एक चुनावी सभा में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा भी जाहिर कर दी। शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में हर बार यह चर्चा होती है कि पहली महिला मुख्यमंत्री कब मिलेगी? महाराष्ट्र ने हमारे शासन के दौरान महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसके बाद ही पूरे देश में महिला आरक्षण लागू किया गया। आज ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, अब मैं महाराष्ट्र में एक महिला मुख्यमंत्री बनते हुए देखना चाहता हूं।
Supriya Sule_Ajit Pawar

शरद पवार के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक बेटी सुप्र‍िया सुले का नाम सीएम चेहरे के रूप में आगे करने के दांव के साथ महिला वोट बैंकं को साधने की कवायद के रुप  में देख रहे है। दरअसल सुप्रिया सुले के एनसीपी में बढते कद के चलते ही भतीजे अजित पवार ने चाचा का  साथ छोड़कर भाजपा और शिंदे गुटे के साथ जा मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव में सुप्रिय सुले ने अजित पवार की पत्नी को बारामती से लोकसभा चुनाव में मात दी थी।
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महाराष्ट्र की सियासत में 1960 से सक्रिय 84 साल के शरद पवार अपनी पॉवर पॉलिटिक्स के जाने जाते है। उम्र की सीमाओं के दरकिनार कर शरद पवार इस बार विधानसभा चुनाव में बेहद सक्रिय है और एक दिन में 6-7 चुनावी सभाओं में शामिल हो रहे है। अपना आखिरी चुनाव लड़ रहे शरद पवार अपनी पार्टी को महाराष्ट्र में फिर से स्थापित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं, इसलिए वह हर वो सियासी  दांव चल रहे है जिसका असर सीधे वोटरों हो रहा है। इतना ही नहीं शरद पवार अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ-साथ कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवारों के लिए भी चुनावी रैली कर रहे हैं।

भतीजे अजित पवार की चुनौती-दरअसल महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार एक ऐसे राजनेता है जिनका असर पूरे महाराष्ट्र में देखा जाता है। सूबे की सियासत में 6 दशक के अधिक समय से पवार फैक्टर सबसे अहम माना जाता है। विधानसभा सभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को जो विपक्ष गठबंधन महाविकास अघाड़ी तगड़ी चुनौती दे रहा है उसके शिल्पकार शरद पवार ही है।

करीब चार साल पहले विपक्षी पार्टियों के एक मंच पर लाकर महाविकास अघाड़ी का गठन कर शरद पवार ने अपनी सियासी ताकत का अहसास करा यह साबित कर दिया था कि आखिर क्यों उन्हें महाराष्ट्र की सियासत का चाणक्य कहा जाता है।

महाराष्ट्र की राजनीति के सियासी चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को लोकसभा चुनाव की तरफ इस बार भी विधानसभा चुनाव में अपने भतीजे अजित पवार से सीधे चुनौती मिल रही है। शरद पवार के गढ़ कहे जाने वाले बारामती में जहां लोकसभा चुनाव में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अजित पवार की पत्नी को मात दी तो इस बार शरद पवार के निशाने पर खुद अजित पवार है। अजित पवार 1990 से लगातार बारामती विधानसभा सीट से विधायक है लेकिन इस बार शरद पवार चुनाव में अपने पोते योगेंद्र पवार के साथ है जो अजित पवार को चुनौती दे रहे है। इतना ही नहीं शरद पवान बारामती से ही सक्रिय चुनावी राजनीति से संन्यास का इशारा कर इमोशनल कार्ड चल दिया है।

दअसल भतीजे अजित पवार के हाथों अपनी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस को गंवाने के बाद अब इस बार शरद पवार की साख खुद दांव पर लगी हुई है। अगर विधानसभा चुनाव में भी शरद पवार लोकसभा चुनाव जैसा करिश्मा कर पाते है तो वह एक तीर से ही कई निशाने साध लेंगे।
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