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Last Modified: गुरुवार, 27 सितम्बर 2018 (15:04 IST)

महिला आयोग ने धारा 497 की निरस्‍ती का किया स्‍वागत, बताया लैंगिक तटस्थता वाला फैसला

महिला आयोग ने धारा 497 की निरस्‍ती का किया स्‍वागत, बताया लैंगिक तटस्थता वाला फैसला - Supreme Court verdict on Section 497
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने व्यभिचार के लिए दंड का प्रावधान करने वाली धारा 497 को उच्चतम न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किए जाने का स्वागत करते हुए गुरुवार को कहा कि यह सभी महिलाओं के हित में होने के साथ-साथ, लैंगिक तटस्थता वाला फैसला भी है।


आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, मैं धारा 497 को निरस्त करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती हूं। यह ब्रिटिशकालीन कानून था। अंग्रेजों ने इससे बहुत पहले ही मुक्ति पा ली थी, लेकिन हम इसे लेकर चल रहे थे। इसे बहुत पहले ही खत्म कर देना चाहिए था।

उन्होंने कहा, महिलाएं अपने पतियों की संपत्ति नहीं हैं। यह फैसला न सिर्फ सभी महिलाओं के हित में है, बल्कि लैंगिक तटस्थता वाला फैसला भी है। उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने व्यभिचार के लिए दंड का प्रावधान करने वाली धारा को सर्वसम्मति से असंवैधानिक घोषित किया।

न्यायमूर्ति मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की पीठ ने गुरुवार को कहा कि व्यभिचार के संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 497 असंवैधानिक है। (भाषा)
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