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Last Updated : मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021 (13:58 IST)

यह सासाराम का रेलवे प्‍लेटफॉर्म नहीं, ‘IAS का क्‍लासरूम’ है

यह सासाराम का रेलवे प्‍लेटफॉर्म नहीं, ‘IAS का क्‍लासरूम’ है - Sasaram, bihar, IAS, IPS, civil service, civil service exam
ये जो तस्‍वीर आप देख रहे हैं इसमें कोई यात्री नहीं हैं जो रेलवे स्‍टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं, ये वो लोग हैं, जिनमें से कोई किसी जिले का आईएएस अफसर होगा तो कोई आईपीएस अधि‍कारी।

जी हां, आप सही समझ रहे हैं। यह बि‍हार का सासाराम रेलवे स्‍टेशन है जो हर सुबह और शाम को एक क्‍लासरूम में तब्‍दील हो जाता है। और यहां कोई साधारण विद्धार्थी नहीं, बल्‍कि इंडियन सिविल सर्विस में जाने की तैयारी करने वाले प्रतियोगी पढ़ाई करते हैं।

इंडि‍यन सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रतियोगी रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर पढ़ाई कर रहे हैं, यह सुनने में भले थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह जज्‍बे से भरी एक ऐसी कहानी है, जो आपको भी हौंसले से भर देगी।

आईएएस और आईपीएस में जाने के लिए रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर आकर पढ़ाई करने की यह कहानी भी बेहद दिलचस्‍प है। दरअसल, यह सिलसिला साल 2002 में शुरू हुआ था, जब स्‍टूडेंट के एक छोटे से ग्रुप ने यहां आकर पढ़ाई करना शुरू किया। धीरे धीरे स्‍टूडेंट की संख्‍या बढ़ती गई और यहां तैयारी करने के लिए कई स्‍टूडेंट आने लगे।

अब आलम यह है कि बि‍हार का सासाराम रेलवे स्‍टेशन किसी एक बड़े क्‍लास रूम की तरह नजर लगा है। सिविल सेवा में जाने का जज्‍बा यहां तक है कि यहां स्‍टूडेंट तो आते ही हैं, लेकिन जो सिविल सेवा में पहले कामयाब हो चुके या असफल रहे लोग भी यहां आने वाले यंगस्‍टर्स को पढ़ाते हैं और उनकी परीक्षा की तैयारी करवाते हैं। यह अब यहां एक सिलसिला सा बन गया है।

दरअसल, यहां पढ़ाई करने का भी एक कारण है। सासाराम स्‍टेशन पर 24X7 बिजली उपलब्‍ध है, ऐसे में यहां बिहार के रोहतास जिले के बच्‍चे ज्‍यादा नजर आते हैं, क्‍योंकि रोहतास के जिस गांव से ये बच्‍चे आते हैं वहां बिजली नहीं है।

यही वजह है कि यहां के बच्‍चे अपने गांव को देश की मुख्‍यधारा के नक्‍शे में देखना चाहते हैं, इसलिए वे प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए अथक और जज्‍बे के साथ प्रयास कर रहे हैं।

सासाराम स्‍टेशन भी इन बच्‍चों के भविष्‍य के लिए एक गवाह के तौर पर अपना योगदान दे रहा है। दरअसल, स्‍टेशन अथॉरिटी ने यहां पढ़ाई करने के लिए आने वाले 500 बच्‍चों के लिए परिचय-पत्र जारी कर रखे हैं, जिससे वे बगैर रोक-टोक के प्‍लेटफॉर्म में आ-जा सकें और प्‍लेटफॉर्म को एक क्‍लास रूम की तरह इस्‍तेमाल कर सकें।

जज्‍बे और जुनून की कहानी यहीं खत्‍म नहीं होती, इनमें से कई ऐसे स्‍टूडेंट हैं जो रात को सोने के लिए घर ही नहीं जाते हैं, वे ज्‍यादा पढ़ाई कर सके इसलिए रात को प्‍लेटफॉर्म पर ही रूक जाते हैं और मेहनत करते हैं।

सासाराम की यह कहानी सुनने के बाद लगता है कि यह सिर्फ भारत में ही संभव है। वो कहते हैं न It Happens only in India.
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