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Last Modified: गुरुवार, 6 अगस्त 2020 (15:55 IST)

RBI ने चेताया, कोरोना महामारी लंबी खिंचना अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम

RBI ने चेताया, कोरोना महामारी लंबी खिंचना अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम - RBI statement on economy matter
मुंबई। भारतीय रिवर्ज बैंक ने गुरुवार को आशंका जताई कि कोविड-19 महामारी का संक्रमण लंबे समय तक खिंचा तो उससे घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत और पतली हो सकती है। गौरतलब है कि इस महामारी और उससे निपटने के लिए लागू सार्वजनिक पाबंदियों से कारोबार पहले से ही बुरी तरह प्रभावित हुआ है और चालू वित्त वर्ष में बड़ा आर्थिक संकुचन होने का अनुमान है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की द्वैमासिक बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुए कहा कि महामारी पर पहले काबू पा लिया गया तो उसका अर्थव्यस्था पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।

मौद्रिक नीति समिति का अनुमान है कि ग्रामीण अर्थव्यस्था में सुधार मजबूत होगा क्योंकि खरीफ की बुवाई अच्छी चल रही है। विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयों को दूसरी तिमाही से मांग बढ़ने की उम्मीद है। उनको लगता है कि 2021-22 की पहली तिमाही तक मांग में धीरे-धीरे सुधार होगा।

दास ने कहा कि जुलाई में उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास रिजर्व बैंक के पिछले सर्वे के समय से और भी कमाजोर हुआ है। समीक्षा में कहा गया है कि विदेशों से भी मांग अभी कमजोर बनी रहेगी। विश्व मंदी में है और विश्व-व्यापार घट रहा है।

दास ने कहा, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अनुमान है कि वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) संकुचन के दौर में रहेगी। पूरे 2020-21 में वास्तविक जीडीपी के गिरने के आसार हैं।उन्होंने कहा कि कोविड-19 जल्दी काबू में आ गया तो इससे आर्थिक संभावनाओं पर अनुकूल प्रभाव हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इसके ज्यादा लंबा खिंचने, मानसून सामान्य रहने का अनुमान सही न निकलने और वैश्विक वित्तीय बाजार में उठापटक बढ़ने की स्थिति में घरेलू अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। दास ने कहा कि समिति का आकलन है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति 2020 की पहली छमाही में कमजोर बनी रही और इसमें छंटनी का रुझान रहा।
उन्होंने कहा कि जुलाई में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कोविड-19 संक्रमण में नई तेजी दिखी। इससे आर्थिक हालात में मई-जून में सुधार के प्रारंभिक संकेत बाद में धीमे पड़ गए।(भाषा)
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