नई दिल्ली। दिल्ली समेत पूरे देश में रमज़ान (Ramadan) का मुकद्दस महीना शनिवार से शुरू होगा। दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में शुक्रवार शाम रमज़ान का चांद नजर आ गया। उलेमा ने कोरोना वायरस को देखते हुए मुस्लिम समुदाय से घरों में ही इबादत करने की अपील की है।
दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, ‘मैं ऐलान करता हूं कि दिल्ली में कल पहला रोज़ा होगा।' मुस्लिम संगठन इमरात-ए-शरिया-हिंद ने एक बयान में बताया कि रूयत-ए-हिलाल कमेटी की राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार शाम हुई बैठक में इस बात की पुष्टि हुई कि दिल्ली में चांद नजर आया है। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में भी चांद दिखा है।
कमेटी के सचिव मौलाना मुइजुद्दीन ने ऐलान किया, 25 अप्रैल 2020 को रमज़ान के महीने की पहली तारीख होगी। मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, बिहार, कोलकाता, रांची और हरियाण समेत कई स्थानों पर चांद दिखा है।'
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी शनिवार को पहला रोजा होने का ऐलान किया और मुस्लिम समुदाय को रमजान की मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन इसलिए लागू है ताकि लोग घरों में रहें और जितनी हो सके उतनी एहतियात बरतें।
पुरानी दिल्ली और यमुनापार की कई मस्जिदों ने भी शनिवार को पहला रोजा होने का ऐलान किया। साथ में मस्जिदों से यह भी ऐलान किया कि इस बार रमजान में मस्जिदों में तरावही नहीं होगी और लोग अपने घरों में इबादत करें।
मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के सदस्य कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन का पालन करें और नमाज़ और तरावीह (रमज़ान में रात में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़) घरों में ही पढ़ें।
उन्होंने कहा कि रोज़ा रखना सबपर फर्ज है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोग रोज़ा रखें और इबादत करें तथा दुआ मांगें। गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस महामारी की वजह से लॉकडाउन लागू है। इस वजह से लोगों के जमा होने पर पाबंदी है और मस्जिदें बंद हैं।
लॉकडाउन की वजह से रमज़ान के महीने की वैसी रौनक नहीं हैं, जैसी हर साल देखने को मिलती हैं। यमुनापार के मुस्लिम बहुल इलाके जाफराबाद में शाम के वक्त लोग जरूरी समान की खरीदारी करने घरों से निकले।
इलाके में रहने वाले 35 साल के मुईन ने कहा, रमज़ान के महीने की रौनक इस बार पहले जैसी नहीं है। कोरोना वायरस की वजह से ज्यादातर दुकानें बंद हैं। हम सेहरी (सूरज निकलने से पहले जो कुछ खाते पीते है) के लिए दूध और खजला और फहनी लेने घर से निकला हूं, लेकिन ज्यादातर दुकानें बंद हैं और जहां यह मिल रही हैं, वहां महंगी है और दुकानों पर भीड़ है।
इलाके में ही जींस बनाने के एक कारखाने में काम करने वाले अरसलान ने कहा, लॉकडाउन की वजह से कारखाना बंद है तो कमाई नहीं हो रही है। हर साल मस्जिदों में इफ्तार होता, लेकिन मस्जिद बंद हैं तो इफ्तार को लेकर भी फिक्रमंद हैं कि अब इफ्तार कहां करेंगे।
रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे पाक महीना होता है। समुदाय के सदस्य पूरे महीने रोज़ा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। (भाषा)