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Last Updated : शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 (18:47 IST)

कश्मीर में रमजान के दौरान नमाजियों को रोकना बड़ी चुनौती

कश्मीर में रमजान के दौरान नमाजियों को रोकना बड़ी चुनौती - Stopping Namazis during Ramadan in Jammu Kashmir is a big challenge
जम्मू। कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 के संकट काल में रमजान के दौरान नमाजियों को मस्जिदों तक जाने से रोकना कश्मीर पुलिस के लिए चुनौती साबित होने वाला है। ऐसी आशंका इसलिए है क्योंकि कोरोना लॉकडाउन के दौरान आने वाले जुम्मे के दिनों में नमाजियों को एकत्र होने से रोकने के लिए कश्मीर पुलिस को अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी थी।

लॉकडाउन को प्रभावी रूप से लागू करने में जुटे प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि पाक रमजान का पहला दिन हो या फिर रमजान का पहला जुम्मा, कई लोग कोशिश करेंगे कि वे मस्जिद में ही नमाज अदा करें, इससे कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जारी कवायद को बड़ा नुकसान पहुंचेगा। अधिकारियों के मुताबिक, बीते दिनों के अनुभव के आधार पर हमें लगता है कि कई जगह लोग जबरदस्ती सामूहिक नमाज के लिए मस्जिदों में जमा हो सकते हैं।

जानकारी के लिए पाक रमजान माह शुरू होने वाला है, लेकिन इस बार न सहरी के लिए उठाने सहरखान आएगा और न ही मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ जुटेगी। इफ्तार की दावत भी नहीं होगी और शाम को बाजारों में मेले जैसा माहौल भी नहीं दिखेगा। अगर होगा तो सिर्फ कोरोना का सन्नाटा। सभी घरों में ही नमाज अता करेंगे, मस्जिदों में नहीं आएंगे।

कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम मुफ्ती नसीर उल इस्लाम ने हिदायत जारी कर दी है। जमीयत-ए-अहल-ए-हदीस और शिया संप्रदाय के धर्मगुरुओं ने भी लोगों से घरों में रहने की अपील की है। घरों में ही रहकर इबादत करेंगे तो कोरोना की कश्मीर में बढ़ती श्रृंखला पूरी तरह टूट जाएगी। यह तीस दिन कोरोना को हराने में कारगर होंगे, बशर्ते सभी घरों में ही रहें। केंद्रशासित जम्मू कश्मीर राज्य की अधिसंख्य आबादी मुस्लिम ही है। घाटी में 97 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।

वहीं प्रशासन ने शुक्रवार को नमाज-ए-जुमे के दौरान कश्मीर में सभी मस्जिदों के आसपास पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात रखने का फैसला किया था। उलेमाओं, खतीबों से कहा जा चुका है कि वे अपने प्रभाव का पूरा इस्तेमाल कर किसी को भी सामूहिक नमाज के लिए जमा न होने दें।

कश्मीर के इस्लामिक गुटों के साझा मंच मुत्तहिदा मजलिस ए उलेमा ने लोगों से घरों में ही नमाज अदा करने की अपील की है। मुफ्ती ए आजम मुफ्ती नासिर उल इस्लाम ने कहा है कि सिर्फ मोअज्जिन ही अजान के लिए मस्जिद में आएं, अन्य लोग घरों में ही नमाज अदा करें। महामारी के समय मस्जिद में आना कोई जरूरी नहीं है।

प्रशासन ने पहले ही कश्मीर में सभी धर्मस्थलों को बंद रखने का निर्देश जारी कर रखा है। अधिकांश इलाकों में मस्जिदों में सिर्फ अजान हो रही है। कई जगह लोग प्रशासनिक पाबंदियों का उल्लंघन कर मस्जिदों में सामूहिक तौर पर नमाज अता कर रहे हैं। बांडीपोरा, त्राल, हीरपोरा, पुलवामा, कुपवाड़ा में बीते दिनों सामूहिक नमाज से रोके जाने पर कई लोगों ने पथराव किया है।

हिंसा भड़काने के लिए साजिशें कर रहे शरारती तत्व भी मौके का फायदा उठा सकते हैं। सभी थाना और चौकी प्रभारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने इलाके में किसी भी मस्जिद, मैदान या किसी अन्य जगह सामूहिक नमाज के लिए लोगों को जमा न होनें दें।

अगर कोई उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए। सभी मुहल्ला समितियों और मस्जिद कमेटियों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ संपर्क कर हालात की संवेदनशीलता से अवगत कराते हुए बताया जा रहा है कि वे किसी भी सूरत में भीड़ जमा न होने दें अन्यथा कोरोना उनके घर में दाखिल हो जाएगा।