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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: शुक्रवार, 31 मार्च 2023 (16:30 IST)

बंगाल में हिंसा की नई खेप, 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ पंचायत चुनाव की तैयार हो रही सियासी जमीन?

बंगाल में हिंसा की नई खेप, 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ पंचायत चुनाव की तैयार हो रही सियासी जमीन? - Political connection of violence in Bengal
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के केंद्र सरकार के खिलाफ 2 दिन के धरने के  बाद अब बंगाल का एक बड़ा इलाका हिंसा की चपेट में है। रामनवमी के दिन से पश्चिम बंगाल के हावड़ा में शुरु हुई हिंसा का दौर अब भी जारी है और हिंसा को रोकने में पुलिस-प्रशासन बेबस नजर आ रहा है। हावड़ा में हुई इस हिंसा को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने रामनवमी पर हिंसा की आंशका जताई थी। ऐसे में अब बंगाल की सियासत मोदी के साथ हिंसा पर भी गर्मा गई है।
 
हिंसा का सियासी कनेक्शन!- बंगाल में रामनवमी से शुरु हुई हिंसा की नई खेप राज्य में हिंदू और मुसलमान की उस राजनीति से जुड़ी जिस पर राजनीतिक दल अपनी सियासी रोटिंया सेंकते है। बंगाल में हिंसा की इन ताजा कड़ी को इस साल बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। ममता बनर्जी की निगाहें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ इस साल होने वाले पंचायत चुनाव पर भी टिकी है। पंचायत चुनाव में टीएमसी का सीधा मुकाबला भाजपा से ही होगी। 
 
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में हिंसा के लिए सीधे तौर पर भाजपा को जिम्मेदार ठहराती है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने हिंसा के लिए राज्य में बाहर के लोगों को बुलाया और हिंसा का दौर शुरु कराया। वहीं आज ममता बनर्जी ने हावड़ा हिंसा पर कहा कि रामजान का महीना चल रहा है और इस महीने में मुसलमान गलत काम नहीं कर सकते है। पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में मुस्लिम वोटरों की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी के आस-पास है ऐसे में ममता अपने इस कोर वोट बैंक को किसी भी हालात में नाराज नहीं करना चाहती है और इसलिए वह इस तरह के बयान दे रही है। 

वहीं भाजपा हिंसा के लिए मुख्यमंत्री ममता की तुष्टिकरण की सियासत को जिम्मेदार ठहरा रही है और हिंदुत्व का कार्ड चल दिया है। हिंदुत्व के कार्ड के सहारे भी बंगाल में भाजपा लगातार अपना विस्तार करती जा रही है। अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो राज्य में भाजपा ने टीएमसी को बड़ा झटका देते हुए राज्य में 42 सीटों में 18 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी और इसमें हिंदुत्व के कार्ड की बड़ी भूमिका थी। 

पश्चिम बंगाल की राजनीति में हिंसा कोई नई बात नहीं है। राज्य में 70 के दशक से नक्सल के उदय के साथ हुआ हिंसा का दौर अब भी जारी है। नक्सल के उदय के साथ राज्य में शुरु हुआ हिंसा में पार्टियां और चेहरे तो बदलते रहे हैं, लेकिन हिंसा का स्वरूप नहीं बदला है। राज्य का सियासी इतिहास इस बात का गवाह है कि सूबे में जब भी सत्तारूढ़ दल को किसी भी विरोधी दल से चुनौती मिलती है तो हिंसा का दौर तेज होता जाता है। बात चाहे राज्य में टीएसी और वाम दलों के बीच संघर्ष के लंबे दौर की हो या बीते 4 सालों से टीएमसी और भाजपा के बीच की।   बंगाल में इन दिनों भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में है और वह सत्तारूढ टीमसी को बड़ी चुनौती दे रहे है।  
 
मोदी के खिलाफ चेहरा बनने की होड़-बंगाल में हिंसा की नई खेप के साथ-साथ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव के अपनी सियासी फील्डिंग भी जमा रही है। इसलिए ममता बनर्जी ने अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोल रही है और सड़क पर उतर आई है। ममता का यह बयान कि वह मोदी के खिलाफ दिल्ली में भी धरना दे सकती है, उनकी भविष्य की राजनीति की ओर साफ इशारा है। 
 
2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद ममता बनर्जी अब 2024 में मोदी के खिलाफ अपने को एक चेहरे को स्थापित करने के साथ-साथ विपक्ष का एक साझा चेहरा बनने की कोशिश में है। ममता बनर्जी एक लंबे समय से राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की मुहिम में भी लगी हुई है। इस मुहिम में अब तक ममता को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का खुलकर साथ मिल चुका है। वहीं एनसीपी नेता शरद पवार से ममता बनर्जी की कई दौर की मुलाकात हो चुकी है। वहीं ममता कई मौकों पर विपक्षी दल को 2024 के लिए एक साझा मंच बनाने का संकेत दे चुकी है।