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Last Updated : बुधवार, 23 दिसंबर 2020 (15:27 IST)

नजरिया : गुपकार गठबंधन को सचेत करने वाले चुनाव परिणाम

वरिष्ठ पत्रकार कृष्णमोहन झा का नजरिया

नजरिया : गुपकार गठबंधन को सचेत करने वाले चुनाव परिणाम - OPINION : DDC election results to alert gupkar alliance in Jammu and Kashmir
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को गत वर्ष अगस्त माह में निष्प्रभावी करने के मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले का राज्य के जिन क्षेत्रीय दलों ने विरोध किया था उन्हें जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनाव परिणामों ने सकते में डाल दिया है। राज्य के दो मुख्य क्षेत्रीय विपक्षी दलों नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वर्चस्व वाले गुपकार गठबंधन ने इन चुनावों में एकतरफा जीत की जो उम्मीद पाल रखी थी उस पर राज्य के मतदाताओं ने पानी फेर दिया है।

जिला विकास परिषद की 280 सीटों के लिए संपन्न चुनावों में गुपकार गठबंधन ने भले ही सबसे बड़ी जीत हासिल की हो परंतु अकेले अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरी भारतीय जनता पार्टी  सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को कश्मीर घाटी में भी चार सीटों पर मिली जीत ने उसके हौसले बुलंद कर दिए हैं। कश्मीर घाटी में भाजपा को मिली यह सफलता भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी उसकी सफलता की संभावनाओं को बलवती बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जिला विकास परिषद के चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद कहा है कि ये परिणाम राज्य में परिवर्तन की लहर का संकेत दे रहे हैं।  
 
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद की 280सीटों के लिए आठ चरणों में मतदान की प्रक्रिया संपन्न कराई गई थी और राज्य में संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद पहली बार संपन्न हुए इन महत्त्वपूर्ण चुनावों के परिणामों पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई थीं ।गुपकार गठबंधन ने पहले इन चुनावों में भाग न लेने का फैसला किया था परंतु बाद में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में राज्य के मतदाताओं की दिलचस्पी के कारण  इस गठबंधन में शामिल दलों को मज़बूरी मेंचुनावों में भाग लेने का फैसला करना पड़ा।

भाजपा ने कई केंद्रीय मंत्रियों को पार्टी के  चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन चुनावों में यद्यपि उसे और भी अधिक सीटें जीतने की पूरी उम्मीद थी परंतु वह कश्मीर घाटी की चार सीटों पर जीत ने उसे प्रफुल्लित होने का अवसर प्रदान कर दिया है। जम्मू-कश्मीर जिला विकास परिषद की 280 सीटों में से गुपकार गठबंधन ने 100 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि भाजपा ने 73 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव प्राप्त किया है। कांग्रेस केवल 22 सीटें जीतने में सफल हो पाई। 
 
इन चुनावों में 46 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर दूसरी पार्टियों का गणित बिगाड़ दिया है यद्यपि भाजपा के लिए यह संतोष का विषय है कि उसने जिन निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन प्रदान किया था उनमें कई सफल रहे हैं। नवनिर्वाचित जिला विकास परिषदों में गुपकार गठबंधन को कांग्रेस का समर्थन मिलना तय माना जा रहा है। इन चुनावों में विजयी उम्मीदवार अब 20 ज़िलों की विकास परिषदों के चेयरमैन का चुनाव करेंगे।संख्या बल के हिसाब से 13 परिषदों के चेयरमैन गुपकार गठबंधन के हो सकते हैं जबकि पांच जिला परिषदों में भाजपा के चेयरमैन होंगे।

गौरतलब है कि जम्मू  और कश्मीर में बराबर-बराबर 140 सीटों के लिए चुनाव कराए गए थे। दो जिला परिषदों में चेयरमैन चुनने के लिए जोड़ तोड़ की स्थिति बन सकती है।जम्मू-कश्मीर जिला विकास परिषद के चुनाव जिस तरह पूरी निष्पक्षता और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए हैं यह इस बात का परिचायक है कि राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनुकूल वातावरण बनने लगा है। 
 
शायद अब नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसे ‌क्षेत्रीय दलों को इस हकीकत का अहसास हो गया है कि राज्य की जनता अब अमन-चैन के माहौल में विकास के नए युग की शुरुआत की अधीरता से प्रतीक्षा कर रही है इसीलिए उसने जिला विकास परिषद के चुनाव में उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया और सरकार अब विधानसभा चुनाव कराने की संभावनाओं पर विचार कर सकती है।जिला विकास परिषद के माध्यम से ही राज्य के 20जिलों में विकास कार्य कराए जाने हैं इसलिए सरकार ने इनके चुनावों में दिलचस्पी दिखाई। 
 
गुपकार गठबंधन को इन चुनावों में जो सफलता मिली है उससे उत्साहित होकर नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसे दल राज्य में संविधान के अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल किए जाने की मांग  कर सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया उमर अब्दुल्ला ने तो यह बयान भी दे‌ दिया है कि ये चुनाव परिणामों के बाद  भाजपा की आंखें खुल जानी चाहिए।

दरअसल ये चुनाव परिणाम उमर अब्दुल्ला के लिए यह चेतावनी लेकर  आए हैं कि जम्मू कश्मीर की जनता ने अलगाव वाद को नकार कर राष्ट्र वाद को चुना है।उनके और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं के लिए यही बेहतर होगा कि मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर को राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल करने के फैसले का समर्थन राज्य के विकास की पहल में सहभागी बनें।
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