• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. new delhi railway station stampede big update
Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 16 फ़रवरी 2025 (23:11 IST)

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के बाद रविवार को क्या रही स्थिति, पढ़िए हर अपडेट

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के बाद रविवार को क्या रही स्थिति, पढ़िए हर अपडेट - new delhi railway station stampede big update
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों के जान गंवाने के एक दिन बाद रविवार को भी स्टेशन पर भीड़भाड़ रही और हजारों यात्रियों को भारी भीड़ के बीच विभिन्न ट्रेन में सवार होने के लिए संघर्ष करना पड़ा। अतिरिक्त उपायों के बावजूद, यात्रियों का पहुंचना जारी है, जिनमें से ज्यादातर लोग प्रयागराज जाने वाले महाकुंभ तीर्थयात्री हैं। अत्यधिक भीड़ के कारण अधिकारियों के लिए स्थिति को संभालना मुश्किल हो गया है।
भगदड़ शनिवार रात करीब 10 बजे हुई, जब ट्रेन उद्घोषणाओं से भ्रमित होने के कारण यात्रियों की भीड़ एक संकरी सीढ़ी के रास्ते प्लेटफॉर्म 16 की ओर भागी। ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे लोगों और नीचे उतरने की कोशिश कर रहे लोगों के बीच कई लोग फंस गए और कुछ ही मिनटों में दहशत फैल गई और लोग गिरने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।
 
फिर भी, कई घंटों बाद भी भीड़ कमोबेश पूर्व की तरह रही। हजारों लोग अब भी प्लेटफॉर्म और फुट-ओवर ब्रिज पर खड़े होने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। प्लेटफॉर्म 16 पर तैनात एक रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) अधिकारी ने कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ, उसके बाद भी स्थिति वैसी ही है। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोगों की संख्या बहुत अधिक है।’’
 
प्रति घंटे 1,500 जनरल टिकट जारी किए जाने के कारण यात्रियों की बढ़ती संख्या संसाधनों पर दबाव बना रही है। प्रयागराज के लिए परिचालित की जा रहीं कई विशेष ट्रेन अपनी क्षमता से दोगुनी से भी अधिक संख्या में यात्रियों के साथ रवाना हो रही हैं और खचाखच भरे डिब्बों में लोग जबरन घुस रहे हैं।
 
रविवार को नई दिल्ली-बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में भीड़ इतनी अधिक थी कि यात्रियों ने धक्का-मुक्की करके ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की। आरपीएफ कर्मियों को और अधिक भीड़भाड़ को रोकने के लिए ट्रेन के दरवाजे बंद करने पड़े। हालांकि, यह ट्रेन प्रयागराज स्टेशन से होकर नहीं गुजरती है।
एक दुखद घटना में, लगभग 15 साल की एक लड़की यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन के अंदर रोते दिखी, जबकि उसकी मां, जो भीड़ के कारण ट्रेन में नहीं चढ़ सकी, खुद को असहाय पाकर रोने लगी। ट्रेन के रवाना होते समय बेबस मां ने बच्ची से कहा, ‘‘घबराना मत, तुम सुरक्षित पहुंच जाओगी।’’
 
फंसे हुए एक यात्री ने कहा कि ट्रेन के अंदर लोगों की संख्या इतनी अधिक थी कि कोई हिल भी नहीं सकता था। अकस्मात स्थिति में भी किसी का बाहर निकलना असंभव हो जाता है।’’ आरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं, लेकिन भीड़ बहुत ज़्यादा है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को संभालना आसान नहीं है।

रेलवे ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर 139 : इसी के साथ उत्तर रेलवे ने भगदड़ में फंसे यात्रियों और उनके परिवारों की सहायता के लिए रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 जारी किया। इस हेल्पलाइन पर शाम 5 बजे तक 130 से अधिक कॉल प्राप्त हुईं, जिनमें से अधिकांश लोग अपने प्रियजनों की जानकारी ले रहे थे। रेलवे प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाई।
 
दी गई मुआवजा राशि : भगदड़ की घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों को रेलवे ने तुरंत मुआवजा राशि दे दी गई। उत्तर रेलवे के अनुसार, प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की गई है। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 2.5 लाख रुपए   और मामूली रूप से घायल यात्रियों को 1 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है।



सीसीटीवी से सामने आएगा सच : दिल्ली पुलिस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ की जांच रविवार को शुरू कर दी और वह वहां की सीसीटीवी फुटेज खंगालेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि भगदड़ मचने से ठीक पहले की घटनाएं किस क्रम में हुई थीं। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि हमारा मुख्य लक्ष्य भगदड़ के मुख्य कारण की जांच करना है। हम सीसीटीवी फुटेज और उस दौरान रेलवे द्वारा की गई उद्घोषणाओं का सारा डेटा एकत्र करेंगे।
 
5 की मौत दम घुटने से : नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में जान गंवाने वाले 18 लोगों में से पांच की मौत दम घुटने से हुई। राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने रविवार को यह जानकारी दी। अस्पताल ने कहा कि एलएनजेपी द्वारा शवों को आरएमएल अस्पताल को सौंप दिया गया जहां उनका पोस्टमार्टम किया गया।
 
एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया, "आरएमएल अस्पताल में कोई घायल नहीं लाया गया। हमें एलएनजेपी से पोस्टमार्टम के लिए पांच शव मिले। उनमें से चार महिलाएं और एक पुरुष था।
 
बहू की चीख और कट गया फोन : बिहार के मुजफ्फरपुर की सुनैना देवी को दिल्ली में अपनी बहू की चीख याद है, जिसे उन्होंने यह जानने के लिए फोन किया था कि क्या उनकी 11 साल की पोती सुरुचि प्रयागराज चली गई है।
 
बहादुरपुर गांव की निवासी सुनैना ने बताया, "मेरी बहू के माता-पिता समस्तीपुर में रहते थे। वे हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने के लिए दिल्ली गए थे, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों के साथ वहां जा सकें।" सुनैना ने बताया कि बहू की चीख के बाद फोन कट गया और मैं किसी अनहोनी की आशंका में डूब गई।
 
सुनैना देवी के पति नरेश साह ने बताया, "मैं एक दिहाड़ी मजदूर हूं। दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद मैं कल रात करीब 10 बजे घर पहुंचा। मैंने देखा कि मेरी पत्नी रो रही थी और कुछ बोल रही थी। मैं बस इतना समझ पाया कि मेरे बेटे और बहू के साथ कुछ बहुत बुरा हुआ है इसलिए मैंने अपने बेटे मनोज से संपर्क करने की कोशिश की, जिससे मैं आधी रात के आसपास संपर्क कर पाया। उसने हमें बताया कि सुरुचि और उसके नाना-नानी सभी भगदड़ में कुचलकर मर गए हैं।"
 
नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार देर रात मची भगदड़ में कम से कम 18 लोग मारे गए और एक दर्जन से ज़्यादा घायल हो गए। भगदड़ में मरने वाले बिहार के लोगों और घायलों की सही संख्या के बारे में विस्तृत जानकारी का इंतज़ार किया जा रहा है।
 
एलएनजेपी अस्पताल पर कड़ी सुरक्षा : नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के बाद घायलों को भर्ती कराए जाने के बीच लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में सैकड़ों अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया और प्रवेश तथा निकास द्वारों को बंद कर दिया गया ताकि अस्पतालकर्मियों को छोड़कर किसी को भी प्रवेश नहीं मिल सके। एलएनजेपी अस्पताल के बाहर अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई और लोगों को अंदर जाने से रोकने के लिए पुलिस ने रस्सियों से द्वारों को बंद कर दिया।
 
सुरक्षाकर्मियों ने आगंतुकों की पूरी तरह से जांच की और केवल आधिकारिक रिपोर्ट वाले लोगों को ही दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल के अंदर जाने की अनुमति दी गई। यहां तक ​​कि मीडियाकर्मियों को भी प्रवेश नहीं दिया गया। अस्पताल परिसर के भीतर आवाजाही को प्रतिबंधित करने के सख्त आदेश दिए गए हैं।
कुछ परेशान परिवारों के सदस्यों को आपातकालीन और हड्डी रोग विभागों में जाने की अनुमति नहीं दी गई, जहां घायलों का इलाज किया जा रहा है। भर्ती मरीजों के बीच अपने लापता प्रियजनों को खोजने के लिए लोग पहुंचे, जिन्हें अधिकारियों द्वारा उनके पास मौजूद सूचियों की जांच करने के बाद वापस भेज दिया गया। प्रियजनों को तलाश रहे कई लोगों ने शिकायत की कि घायलों को जिन अस्पतालों में ले जाया गया था, उनमें से किसी ने भी उन्हें अपने रिश्तेदारों की तलाश करने की अनुमति नहीं दी।
एलएनजेपी अस्पताल परिसर में घूमने पर पता चला कि आम दिनों की तुलना में लोगों की संख्या असामान्य रूप से कम थी। हर वार्ड में सुरक्षा जांच की जा रही थी, जिसमें एक बार में केवल एक व्यक्ति को ही प्रवेश करने की अनुमति थी। अंदर, सभी से पूछताछ की जा रही थी और किसी को भी उस वार्ड के पास जाने की अनुमति नहीं थी, जहां भगदड़ के पीड़ित भर्ती थे।
 
अनधिकृत संपर्क को रोकने के लिए प्रत्येक घायल मरीज के साथ तीन से चार पुलिसकर्मी या अस्पताल के कर्मचारी थे। यहां तक ​​कि जब मरीजों को एमआरआई स्कैन और अन्य परीक्षणों के लिए ले जाया गया, तब भी वे पुलिस की कड़ी निगरानी में थे।

सोशल मीडिया पर लोगों का रिएक्शन : मची भगदड़ के लिए कुछ लोगों ने अचानक प्लेटफॉर्म बदले जाने और अधिकारियों के कुप्रबंधन पर दोष मढ़ा, तो कई लोगों ने भारत की जनसंख्या, यात्रा शिष्टाचार की कमी और रेलवे की गलत घोषणाओं को जिम्मेदार ठहराया। जबकि कुछ लोग घटना के समय भी महाकुंभ में स्नान के दौरान ली गईं तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे।
 
कुछ ही घंटे बाद सोशल मीडिया पर इस घटना के लिए दोष मढ़ने के संबंध में एक के बाद एक अनेक पोस्ट की गईं। इस भगदड़ से पहले बड़ी संख्या में लोग महाकुंभ जाने के लिए विभिन्न ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे, साथ ही अन्य स्थानों के यात्री भी बड़ी संख्या में थे। सत्तारूढ़ दल की विचारधारा से जुड़े होने का दावा करने वाले कई लोगों ने कहा कि दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के नाते भारत को भीड़ प्रबंधन के बुनियादी नियमों को सीखना चाहिए और लोगों को सार्वजनिक घोषणाओं को ध्यान से सुना जाना चाहिए।
 
सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों के सोशल मीडिया पोस्ट में इस बात की चर्चा थी कि लोग हल्के सामान के साथ यात्रा करने, कतार में लगने और पहले से टिकट आरक्षित कराने जैसे बुनियादी शिष्टाचार का पालन नहीं कर रहे। कुछ पोस्ट में संसद में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाने और तुष्टिकरण की राजनीति को रोकने की तत्काल आवश्यकता बताई गई। साथ ही दावा किया गया कि जब तक भारत अपनी जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं कर लेता, तब तक भगदड़, सड़क यातायात और भीड़ प्रबंधन को नियंत्रित करना असंभव है।
 
कुछ लोगों ने तो सरकार को दोष देने के बजाय "देहातियों" को बुनियादी तौर-तरीके सिखाने की आवश्यकता पर बात की और कहा कि ग्रामीण लोग ‘‘अफवाहों पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं और भगदड़ शुरू हो जाती है।”
 
दूसरी ओर के लोग, विशेषकर विपक्षी विचारधारा से जुड़े लोग, रेलवे और अन्य प्राधिकारियों की ओर से चूक होने की बात कर रहे थे, जैसे कि जब एक घंटे में हजारों लोगों को अनारक्षित टिकट जारी किए जा रहे थे, तब कोई चेतावनी नहीं दी गई, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर अनुपस्थित थे और यात्रियों को सही जानकारी देने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए।
 
उन्होंने कहा कि भगदड़ स्पष्ट रूप से सरकार की विफलता है, क्योंकि महाकुंभ जैसे आयोजनों के लिए पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था करना उसका कर्तव्य है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के तत्काल इस्तीफे की मांग की, जबकि भाजपा नेताओं ने स्थिति सामान्य होने की तस्वीरें पोस्ट कीं और कहा कि शीर्ष मंत्री लगातार नजर रख रहे हैं।
 
इन सभी आरोप-प्रत्यारोप के बीच, विभिन्न सरकारी ‘हैंडल’ प्रयागराज में तीन नदियों के संगम पर "पवित्र स्नान" करने वाले लोगों की संख्या और तस्वीरें पोस्ट करते रहे। लोगों ने भी अपनी 'पवित्र स्नान' की तस्वीरें पोस्ट कीं, जिनमें भारतीय और विदेशी राजनयिक, मंत्री, सांसद, व्यवसायी और खिलाड़ी भी शामिल थे। इस बीच, रेलवे, पुलिस, आम लोगों और राजनीतिक दलों की ओर से भगदड़ के बारे में विरोधाभासी विवरण सामने आते रहे। इनपुट भाषा