14 साल की नाबालिग बनी मां और पिता 13 साल का बालक, दोनों के सामने अब आई ये नई मुसीबत
काठमांडू। नेपाल में एक 14 साल की नाबालिक लड़की इतनी छोटी-सी उम्र में मां बन गई। लड़की के पति की उम्र केवल 13 साल है। हाल ही में ये दोनों माता-पिता तो बन गए लेकिन दोनों के सामने नई मुसीबत आ गई। ये मुसीबत कानूनी रुप से शादी और नवजात शिशु के पंजीयन को लेकर है।
खुद नेपाल के अधिकारी भी पशोपेश में फंस गए कि उनकी शादी और शिशु का पंजीकरण कैसे करें? नेपाल के कानून में इस तरह के मामलों के पंजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है क्योंकि यहां पर विवाह की न्यूनतम उम्र 20 साल है।
‘द हिमालयन टाइम्स’ ने खबर दी कि है कि बच्चे के पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले 13 वर्षीय पिता रमेश तमांग को चौथी कक्षा में पढ़ने वाली 14 वर्ष की पबित्रा तमांग से प्रेम हो गया था और दोनों ने बाद में पढ़ाई छोड़ दी थी।
खबर में बताया गया कि दोनों के संबंध के एक साल के भीतर पबित्रा तमांग ने दो महीने पहले एक शिशु को जन्म दिया। खबर फैलने के बाद जिला प्रशासन ‘शादी’ एवं बच्चे के जन्म के पंजीकरण के लिए कानूनी चुनौती का सामना कर रहे इस जोड़े तक पहुंचा।
रूबी घाटी ग्रामीण नगर निकाय वार्ड संख्या 5 के प्रमुख धीरज तमांग के मुताबिक उनकी ‘शादी’ और बच्चे के जन्म का पंजीकरण कानूनी के तहत संभव नहीं है क्योंकि दोनों ही नाबालिग हैं।
खबर के मुताबिक तमांग समुदाय की प्रथा के अनुसार यदि कोई लड़का किसी लड़की को अपनी पत्नी मान लेता है, वह बाद में उससे शादी कर सकता है।
फिलहाल तो 13 साल के पिता रमेश तमांग और 14 बरस की पबित्रा तमांग को अपनी शादी का न तो पंजीयन मिलेगा और न ही नवजात शिशु का कहीं पंजीयन हो सकेगा। मामला बहुत पेंचीदा है और इसके लिए दोनों के लिए वक्त का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है।
इतनी छोटी सी उम्र में दोनों ने माता पिता का सुख तो प्राप्त कर लिया है लेकिन अभी तक इसका खुलासा नहीं हुआ है कि दोनों के मांबाप ने उन्हें स्वीकारा या नहीं? आखिर इनका भविष्य क्या होगा, ये सबसे बड़ा सवाल कईयों के दिमाग में उथलपुथल मचा रहा है।
जिला स्वास्थ्य कार्यालय के कार्यवाहक प्रमुख ढांडिंग बिष्णु रिजल ने कहा कि पौष्टिक भोजन की कमी से नवजात के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा क्योंकि बच्चे को पर्याप्त स्तनपान नहीं मिलेगा। हालांकि नवजात को स्वस्थ बताया गया है लेकिन उसके दोनों हाथों में मध्यमा अंगुली नहीं है। तस्वीर सौजन्य : द हिमालयन टाइम्स