नई दिल्ली। मक्का मस्जिद विस्फोट मामले का फैसला देने वाले न्यायाधीश रवीन्द्र रेड्डी ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उल्लेखनीय है कि इस मामले में असीमानंद समेत पांचों आरोपी सबूत के अभाव में बरी हो गए। रेड्डी ने कहा कि वे निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं।
ग्यारह वर्ष पुराने इस मामले में एनआईए की अदालत ने हैदराबाद के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए आज असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। वर्ष 2007 में हुए इस विस्फोट में नौ लोगों की मृत्यु हो गई थी और 58 घायल हुए थे।
इस बीच, एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि मैं इस फैसले से हैरान हूं। उन्होंने कहा कि रेड्डी का इस्तीफा संदेह पैदा करता है।
मक्का मस्जिद फैसला संप्रग सरकार के मुंह पर तमाचा : विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के नए अंतरराष्टीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने हैदराबाद मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने का स्वागत करते हुए इसे तत्कालीन कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के मुंह पर करार तमाचा करार दिया है।
कुमार ने आज यहां कहा कि हिन्दू आतंकवाद का शगूफा छोड़कर निर्दोष हिन्दुओं को फंसाने के षड़यंत्र की आड़ में विस्फोट करने वाले वास्तविक अपराधियों को बचा ले गई। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय असली अपराधियों के छूटने पर यदि कोई सबसे अधिक प्रसन्न हुआ था तो वह पाकिस्तान था जिसके लोग आसानी से भागने में कामयाब रहे थे।
नए कार्याध्यक्ष ने कहा कि फैसले से मुस्लिम तुष्टीकरण की आड़ में हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागिरक तथा जांच एजेंसियों को राजनीतिक मोहरा बनाने की तत्कालीन सरकार की घृणित नीति की भी कलई खुल गई है।
अध्ययन के बाद अपील का निर्णय लेगी एनआईए : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने के अदालत के फैसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया करने से इंकार करते हुए कहा है कि फैसले का अध्ययन करने के बाद ही इस पर आगे का कदम उठाया जाएगा।
हैदराबाद स्थित एनआईए की विशेष अदालत ने वर्ष 2007 के इस मामले में फैसला सुनाते हुए आज सभी पांचों आरोपियों को बरी कर दिया। मई 2007 में नमाज के दौरान ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में विएस्फोट में नौ लोग मारे गए थे और 58 अन्य घायल हुए थे।
स्थानीय पुलिस की शुरुआती जांच के बाद यह मामला केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में 2011 में इसकी जांच एनआईए को सौंपी गई।
ओवैसी बोले न्याय नहीं हुआ : ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असादुद्दीन ओवैसी ने 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में सभी आरोपियों के बरी हो जाने को देखते हुए आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने सही तरीके से अदालत के समक्ष मामले को नहीं रखा।
ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा एनआईए ने मुकदमें में सही पैरवी नहीं की। एनआईए से जैसी उम्मीद थी उसके अनुरूप उसने मामले की पैरवी नहीं की। इस मामले में न्याय नहीं हुआ जून 2014 के बाद इस मामले में अधिकतर गवाह अपने बयानों से मुकर गए।
एनआईए मुकदमें की पैरवी उम्मीद के अनुरूप नहीं की या फिर 'राजनीतिक मास्टर' द्वारा एजेंसी को ऐसा करने नहीं दिया गया। आपराधिक मामलें में जब तक ऐसा पक्षपात होता रहेगा तब तक न्याय नहीं मिलेगा।'
उन्होंने लिखा, 'एनआईए और मोदी सरकार ने आरोपियों की जमानत मंजूर हो जाने के खिलाफ अपील नहीं की।' उन्होंने एनआईए को 'बहरा और अंधा तोता' करार देते हुए कहा कि इस मामले में न्याय नहीं हुआ है। जांच पूरी तरह से पक्षपाती थी। फैसले से आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर हुई है।