- तस्कर हुए स्मार्ट, नशे के कारोबार को किया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट
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इंटरनेशनल शॉपिंग वेबसाइट के जरिए हो रही ड्रग्स पैडलिंग
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नशे का यह धंधा फेसबुक, व्हाटसएप्प, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम के जरिए भी जारी है
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ऑनलाइन कारोबार में ही सिर्फ नारकोटिक्स के पास ही है कार्रवाई का अधिकार
शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के ड्रग्स मामले में गिरफ्तारी के बाद देश में नशीले पदार्थ का कारोबार और ड्रग्स पेडलिंग की खबरें एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश के भिंड जिले और धार्मिक नगरी हरिद्वार में पुलिस ने करीब 20 किलो गांजा जब्त किया, हालांकि गांजे की यह मात्रा उतनी ज्यादा नहीं है, लेकिन इसमें जो सबसे दिलचस्प बात है वो यह है कि अब नशीली सामग्री की खरीद-फरोख्त ऑनलाइन हो गई है, मतलब, ड्रग्स के कारोबार से जुड़े अपराधी अब बेहद स्मार्ट हो गए हैं और वे अब बेहद आधुनिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। नशे की लत का यह शातिर धंधा अब स्मार्ट तस्करी में तब्दील हो गया है।
इस धरपकड़ की शुरुआती जांच में जो खुलासा हुआ उसमें पता चला कि अमेजन जैसे बड़े इंटरनेशनल शॉपिंग वेबसाइट (ई-कॉमर्स) की मदद से सिर्फ इसी एक प्रकरण में करीब 1 करोड़ 10 लाख का गांजा बेच दिया गया। इसके लिए बेखौफ होकर अमेजन के रैपर और पैकेजिंग बॉक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि किसी को इनमें नशीले पदार्थ होने की भनक न लग सके। अंदाजा लगाया जा सकता है कि देशभर में कितने बड़े पैमाने पर यह गोरखधंधा अपने पैर पसार चुका होगा।
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में सोमवार को 1,240 किलोग्राम गांजा जब्त कर, मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। जब्त किए गए गांजा की कीमत करीब 2.08 करोड़ रुपये है।
पुलिस ने 1,240 किलोग्राम गांजा जब्त करने के बाद इस सिलसिले में तीन तस्करों को हिरासत में लिया है।
Amazon को कमाई का प्रतिशत
कमाल की बात यह है कि अमेजन जैसी शॉपिंग वेबसाइट जहां तमाम जरूरत का सामान मिलता है, वहां से खुलेआम नशा बेचने का यह काम जारी है, जिसकी एवज में अमेजन का इस धंधे से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा यानी कमीशन जाता है।
क्यों बदल गया तस्करी का तरीका?
दरअसल, एक पुलिस अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर इस पूरे कारोबार के नए तरीके के बारे में खुलासा किया। उन्होंने बताया कि नशे की तस्करी और हेराफेरी के परंपरागत तरीकों में बहुत रिस्क होती है, इसमें तस्कर को काम पर लगाया जाता था, इसके लिए उसे कई मोर्चों से गुजरना पड़ता था, फोन का, मैसेज का इस्तेमाल करना, एक जगह से दूसरे जगह जाना, रास्ते में नाकाबंदी पर तलाशी, टोल नाकों पर पूछताछ और ट्रेन-बस में चैकिंग आदि जैसी रिस्क होती थी। लेकिन ऑनलाइन में इतनी रिस्क नहीं है, ऑनलाइन में सिर्फ दो ही छोर हैं, एक जहां से सामान पैक किया गया और दूसरा जहां भेजा गया। बीच में कोई खतरा या रिस्क नहीं।
इसमें फिजिकली आदमी की मौजूदगी न के बराबर होती है, ऐसे में पुलिस के लिए चुनौती बढ़ जाती है और तस्करों का काम आसान हो जाता है, इसलिए आजकल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बढ़ गया है। नशे का यह धंधा फेसबुक, व्हाटसएप्प, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम के जरिए भी जारी है।
क्या कहता है कानून?
दरअसल, ऑनलाइन नशीले पदार्थों की बिक्री या खरीदी के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह आईटी एक्ट (Information Technology Act) में नहीं आता, इसलिए इसमें जो भी कार्रवाई होती है, वो एनडीपीएस (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act-1985) के तहत की जाती है और नॉरकोटिक्स विभाग इसमें कार्रवाई करता है। सायबर सेल के आला अधिकारियों का कहना है कि नारको ट्रेड चाहे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया हो या ऑफलाइन किया गया हो, इसमें कार्रवाई नारकोटिक्स विभाग के जिम्मे ही है।
गीतेश गर्ग, एसपी नॉरकोटिक्स इंदौर ने
वेबदुनिया को बताया कि इस तरह के मामलों में कोई अलग से कानून नहीं है, वहीं एनडीपीएस के तहत कार्रवाई होती है। इसके साथ ही जांचकर्ता की जांच पर निर्भर करता है कि वो किस तरह की धाराएं लागू करता है। जहां तक इंदौर की बात है तो यहां अब तक किसी तरह के ड्रग्स की ऑनलाइन खरीदी-बिक्री सामने नहीं आई है, अगर कोई केस सामने आता है तो आपको निश्चित अवगत कराएंगे।
Cyber cell नहीं करता कार्रवाई
कई लोगों को यह भ्रम रहता है कि अगर नशीले पदार्थों की तस्करी ऑनलाइन हो रही है इसलिए इसमें कार्रवाई सायबर सेल करता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। ऑनलाइन कारोबार वस्तुओं के ट्रांसफर का एक जरियाभर है, इसमें किसी तरह की इंटरनेट या तकनीकी छेड़छाड़ नहीं होती है, इसलिए यह नारकोटिक्स विभाग के तहत ही आता है। हैकिंग, फिशिंग, अकाउंट से पैसे निकाल लेना, बैंकिंग ठगी, वेबसाइट, फेसबुक, ट्विटर आदि के माध्यम से किसी अपराधिक गतिविधि को अंजाम देना आईटी एक्ट के तहत आता है।
जीतेंद्र सिंह, एसपी सायबर सेल इंदौर ने
वेबदुनिया को जानकारी दी कि चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन अगर किसी भी तरह की ड्रग्स खरीदी होती है या किसी तरह का नारको ट्रेड होता है तो उसके लिए नारकोटिक्स विभाग कार्रवाई करता है, इसके लिए आईटी एक्ट में कोई नियम या प्रावधान नहीं है। इस तरह की सारी गतिविधियों पर नाराकोटिक्स ही नजर रखता है और नियमानुसार कार्रवाई करता है।
Amazon पर पहले भी लग चुके हैं आरोप
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल ने एमेजन पर गांजा बेचने का पिछले दिनों आरोप लगाया था। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार इसका खुलासा मध्यप्रदेश पुलिस ने किया था। उन्होंने केंद्र सरकार से कार्रवाई की मांग की थी, उन्होंने आरोप लगाया था कि एमेजन के ई-कॉमर्स पोर्टल का इस्तेमाल ड्रग्स बेचने में हो रहा है।
Google ने किया था Apps को बैन
पिछले दिनों नियमों के उल्लंघन के मामले में गूगल ने कुछ ऐसे एप्लिकेशन को बैन किया था, जहां गांजा बेचा जा रहा था और गांजा मिलने के स्थान के बारे में जानकारी दी जा रही थी। गूगल ने दो ऐसे मोबाइल ऐप को अपने प्ले-स्टोर पर बैन किया था।
गूगल ने जिन ऐप पर बैन लगाया था उनमें Weedmaps Marijuana Cannabis and Weed Reviews और Eaze शामिल थे। गूगल की अपनी पॉलिसी के मुताबिक यदि कोई ऐप गांजा को ऑनलाइन ऑर्डर करने की सुविधा देता है तो गूगल उस पर प्रतिबंध लगा सकता है।
ठीक इसी तरह कोई ऐप गांजा की डिलीवरी करने में मदद करता है या फिर कहीं से गांजा लेने (बिक्री के लिए) का दावा करता है तो गूगल उसे बैन कर सकता है।
ऐसा कोई ऐप जो टीएचसी (टेट्रा हाईड्रो कैनाबिनोल) युक्त प्रोडक्ट की बिक्री करता है। उसे प्रतिबंध कर सकता है।
3 साल में 455% बढ़ा ड्रग्स कारोबार
पिछले तीन साल में भारत में ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी बढ़ा है। देश में ड्रग्स का बढ़ता कल्चर गंभीर समस्या बन गई है। यूएनओडीसी के वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 23.4 करोड़ लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं। हर साल ड्रग्स के कारण करीब 2 लाख लोग जान गंवा बैठते हैं।
जुलाई 2016 में राज्य सभा में पेश किए गए राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीबी) के नशे संबंधी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन ड्रग्स या शराब के चलते 10 मौतें या आत्महत्याएं होती हैं। इनमें से केवल एक मौत पंजाब में होती है। इन आंकड़ों के मुताबिक ड्रग्स की लत से जुड़ी सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में होती हैं।
हेरोइन सबसे ज्यादा पसंद
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में दावा किया गया था कि साल 2017 में देशभर से करीब 3.6 लाख किलो नशीली दवा जब्त की गई थी।
इसमें बड़ी मात्रा में गांजा मिला है, लेकिन हेरोइन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2017 में देशभर से 2551 किलो अफीम, 2146 किलो हेरोइन, 3.52 लाख किलो गांजा, 3218 किलो चरस और 69 किलो कोकेन बरामद हुई थी। वर्ष 2013 के बाद कोकेन की ये सबसे बड़ी मात्रा बरामद हुई थी। कोकेन को हाई प्रोफाइल पार्टी ड्रग माना जाता है। यह सबसे ज्यादा पसंद की जाती है।
शशि थरूर ने की थी यह मांग
जहां एक तरफ नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए कवायद चल रही है, ठीक उसी दौरान नशे की पैरवी करने वालों की भी कमी नहीं है। पिछले दिनों कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मांग करते हुए एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने अपील की थी कि नशे के उत्पादों को कानूनी मान्यता दी जाना चाहिए, उनका मानना था कि इससे देश में आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लग सकेगी।
आर्यन खान ही क्यों?
ड्रग्स के धंधे के ऑनलाइन हो जाने की वजह से एक यह सवाल भी जेहन में आता है कि जब आर्यन खान के पास कुछ मात्रा में ड्रग्स मिलता है तो हंगामा हो जाता है, उसके पीछे पूरा नारकोटिक्स विभाग लग जाता है, जबकि इतने अमेजन जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर जब इतने व्यापक पैमाने पर ड्रग्स का कारोबार ऑनलाइन होता है तो उस पर सरकार लगाम क्यों नहीं लगाती।