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Last Modified: शुक्रवार, 7 जून 2019 (15:12 IST)

ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कही यह बड़ी बात

ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कही यह बड़ी बात - Mamta Banerjee writes letter to PM Modi
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 15 जून को होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल होने में अपनी असमर्थता जताई और कहा कि एक संस्था के तौर पर यह निष्फल है क्योंकि राज्य की योजनाओं में मदद के लिए इसके पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं।
 
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में बनर्जी ने कहा, 'यह तथ्य है कि नीति आयोग के पास न तो कोई वित्तीय शक्तियां हैं और न ही राज्य की योजनाओं में मदद के लि्ा उसके पास शक्ति है। ऐसे में किसी भी प्रकार की वित्तीय शक्तियों से वंचित ऐसी संस्था की बैठक में शामिल होना मेरे लिये निरर्थक है।'
 
मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि सहकारी संघवाद को बढ़ाने और संघीय नीति की मजबूती के लिये अंतर-राज्यीय परिषद (आईएससी) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में नीति आयोग से प्राप्त अनुभव ने मेरे पहले के विचार को बल दिया कि हमें संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत गठित अंतरराज्यीय परिषद पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और देश की प्रमुख इकाई के तौर पर आईएससी को अपने कार्य के निष्पादन के लिये इसमें समुचित संशोधन कर इसके कामकाज का दायरा बढ़ाना चाहिए।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिलेगा और संघीय नीति को मजबूती मिलेगी। मैंने बार-बार कहा है राष्ट्रीय विकास परिषद जो काफी हद तक दम तोड़ चुका है, उसे भी अंतरराज्यीय परिषद की इस विस्तृत संवैधानिक संस्था में मिलाया जा सकता है। देश के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिये मोदी 15 जून को नीति आयोग के संचालन परिषद की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं।
 
इससे पहले भी बनर्जी कई बार नीति निर्माता थिंक-टैंक की बैठकों में शामिल नहीं हुई थीं और योजना आयोग को भंग कर नये ढांचे के निर्माण को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर कर चुकी हैं। उन्होंने बैठक में पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधित्व के लिए राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा को भेजा था। अपने पत्र में बनर्जी ने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री से चर्चा किये बगैर नीति आयोग के गठन की एकतरफा घोषणा की गई।
 
उन्होंने नीति आयोग के अधिकारियों और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के बयानों का उदाहरण दिया जिसमें उन्होंने क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के प्रयास के तहत थिंक-टैंक को धन आवंटित करने की शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।
 
पश्चिम बंगाल में तृणमूल और भारतीय जनता पार्टी के बीच बढ़ते राजनीतिक विवाद के बीच बनर्जी का नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का यह फैसला सामने आया है। (भाषा) 
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