Maharashtra NCP Crisis: क्या ये शरद पवार का ही गेम प्लान है?
शरद पवार का गेम प्लान या अजीत पवार की राजनीतिक महत्वकांक्षा
Maharashtra NCP Crisis: एनसीपी प्रमुख शरद पवार अब तक कई राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को सियासती चकमा देते आए हैं। कई बार वे अपने राजनीतिक जौहर और फैसलों से सियासत में फेरबदल कर चुके हैं। लेकिन इस बार वे अपने सबसे वफादार सिपहसालार और भतीजे से ही चकमा खा गए।
क्या ऐसा संभव है कि पिछले एक साल से अजीत पवार अपनी पार्टी एनसीपी में ही रहते हुए अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत की स्क्रिप्ट रचते रहे और चाचा को इसकी भनक तक नहीं लगी। यहां तक कि पार्टी पर बहुत पैनी नजर रखने वाली सुप्रिया सुले तक को अपने भाई के मंसुबों के बारे में खबर तक नहीं लगी। वो भी तब जब एक बार पहले भी बगावत कर साल 2019 में अजीत पवार रातों-रात भाजपा के देवेंद्र फडणवीस से मिलकर उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। यह जानते हुए कि अजीत पवार की राजनीतिक महत्वकांक्षा उन्हें बागी बनने के लिए बार-बार प्रेरित करती रही है, कैसे पवार और सुले चकमा खा गए। यहां तक कि छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल जैसे बड़े नेताओं को भी अजीत पवार चाचा शरद पवार की पलकों से चुरा ले गए।
साल 2023 में एक बार फिर से बगावत कर अजीत पवार भाजपा और शिंदे गुट में मिलकर देखते ही देखते महाराष्ट्र सरकार में उप- मुख्यमंत्री बन गए। वे दावा भी कर रहे हैं कि 44 विधायक भी उनके समर्थन में उनके खेमे में हैं।
2024 का चुनावी महासंग्राम करीब है, ऐसे में आने वाले दिनों महाराष्ट्र की ये चौंकाने वाली सियासी उठापटक क्या रंग दिखाएगी ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन शरद पवार को अपने ही भतीजे से मिली इस राजनीतिक मात पर सवाल भी उठ रहे हैं।
शरद पवार ने बिछाई बिसात : महाराष्ट्र में अजित पवार के शिंदे सरकार में शामिल होने के पीछे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता ने शरद पवार का हाथ बताया है। सैयद आसिम वकार ने कहा,
अजित पवार खुद नहीं गए हैं। शरद पवार ने खुद जाल बिछाया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा
, मेरा अपना आंकलन है कि अजित पवार खुद नहीं गए हैं, इसमें शरद पवार जी की मर्जी शामिल है। इससे पहले भी यही हुआ था। ये पूरी बिसात शरद पवार जी ने खुद बिछाई है, इसमें वज़ीर वही चाल चलेगा, जिससे बादशाह और उसका क़िला सुरक्षित रहे। ये राजनीति है बाबू इसमें होता कुछ है, दिखता कुछ है
शक के घेरे में शरद पवार : पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शिवराज पाटिल ने कहा,
एक दो दिन में साफ हो जाएगा कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे शरद पवार हैं या नहीं
राज ठाकरे ने कहा- कौन किसका दुश्मन है पता नहीं चलता।महत्वकांक्षी अजीत पवार : दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति में अजीत पवार को एक महत्वकांक्षी नेता माना जाता है। कई बार वे अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा जाहिर कर चुके हैं। इसी महत्वकांक्षा के चलते एक बार पहले भी 2019 में भाजपा के साथ हाथ मिला चुके हैं। समय समय पर पार्टी में पद के लिए उनकी नाराजगी की खबरें किसी से छुपी नहीं है।
...और पार्टी में घटता गया कद : अजित पवार 64 साल के हैं। एक जमाने में माना जाता था कि शरद पवार के बाद वह राष्ट्रीय क्रांतिवादी पार्टी में उनकी जगह लेंगे। लेकिन अक्टूबर 2019 में वह जब अचानक देवेंद्र फडणवीस के पास चले गए और उनकी सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर की शपथ भी ले ली तो हर कोई चौंक गया। अगले ही दिन वह बीजेपी का साथ छोड़कर वापस एनसीपी में पहुंच गए लेकिन उसी दिन से एनसीपी में उनका ग्राफ गिरने लगा। उनकी जगह हाल ही में जब शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया तो तय हो गया कि पार्टी उन्हें किनारे कर चुकी है।
पद्मसिंह बाजीराव पाटिल की भूमिका : अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा महाराष्ट्र की राजनीति में दबंग छवि रखने वाले पद्मसिंह बाजीराव पाटिल की बहन हैं। पद्मसिंह बाजीराव पाटिल महाराष्ट्र में विधायक और मंत्री रह चुके हैं। किसी जमाने में उन्हें शरद पवार का बहुत खास माना जाता था, लेकिन महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनावों से पहले वह एनसीपी छोड़कर बीजेपी में चले गए। माना जाता है कि अजित और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के बीच पद्मसिंह बाजीराव पाटिल ने हमेशा ही एक ब्रिज की तरह काम किया है।
पवार का प्लान या अजीत की महत्वकांक्षा : अब जब तक यह राजनीतिक स्टोरी अनफोल्ड नहीं हो जाती, इसकी गर्त में क्या छुपा है कोई बता नहीं सकता। इस बारे में या तो खुद शरद पवार बता सकते हैं या फिर अजीत पवार। जैसा हाल ही में एक प्रेसवार्ता में मीडिया के सवाल के जवाब में सुप्रिया सुले ने कहा था कि
लेट द स्टोरी अनफोल्ड...