भोपाल में पास होते हुए भी 'दूर–दूर' सिंधिया और कमलनाथ!
भोपाल । मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच दूरियां एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। लंबे समय के बाद भोपाल दौरे पर आए कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ की बीच सौजन्य मुलाकात का कार्यक्रम भी नहीं होने से सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के भोपाल में होने पर भी सिंधिया के डिनर से दूरी बनाने से सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई है। करीब 6 महीने बाद भोपाल के लंबे दौरे पर आए सिंधिया लगातार अपने समर्थक कार्यकर्ताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर एक तरह से अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री कमलनाथ से उनका सौजन्य भेंट भी नहीं करना कई सवालों को जन्म दे रहा है। इन सवालों का जवाब खुद सिंधिया ने अपने अंदाज में देते हुए कहा कि हर बार मिलना जरुरी थोड़े ही है। सिंधिया ने कहा कि वह कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के लिए आए है। भले ही सिंधिया ने बहुत हल्के अंदाज में इन सवालों को टाल दिया हो लेकिन मुलाकात नहीं होने के कई सियासी मयाने तलाशे जा रहे है।
चर्चा में डिनर से कमलनाथ की दूरी – गुरुवार शाम सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के घर हुए डिनर में भी मुख्यमंत्री कमलनाथ और विरोधी खेमे के कई मंत्रियों के नहीं शामिल हुए। सिंधिया के भोपाल दौरे को देखते हुए उनके कट्टर समर्थक गोविंद सिंह राजपूत ने अपने बंगले पर डिनर का आयोजन किया जिसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत कैबिनेट के सभी मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों को न्यौता दिया गया था,लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ का भोपाल में होने के बावजूद डिनर में नहीं शामिल होना कांग्रेस के अंदरखाने की सियासत में चल रही उठापटक की तरफ इशारा कर रहा है।
इस चर्चित डिनर में मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ ही कई सीनियर मंत्री जीतू पटवारी, तरुण भनोट, पीसी शर्मा और आरिफ अकील भी नहीं शामिल हुए। हलांकि सिंधिया का अपने दौरे के दूसरे दिन कमलनाथ समर्थक मंत्री सुखदेव पांसे के घर चाय पर जाना भी काफी चर्चा के केंद्र में है।
सुखदेव पांसे के यहां चर्चा पर चर्चा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया करीब सात महीने बाद प्रदेश कांग्रे कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। इस दौरान सिंधिया समर्थकों ने उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। वहीं मीडिया से बात करते हुए सिंधिया ने खुद को प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ से बाहर बताया। उन्होंने कहा कि राजनीति मेरे लिए नेतागिरि करना नहीं है, मैंने जनसेवा को अपना लक्ष्य बनाया है।