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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 13 अप्रैल 2024 (18:04 IST)

भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर में पूरे किए 40 साल

भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर में पूरे किए 40 साल - Indian Army completes 40 years in Siachen Glacier
Indian Army completes 40 years in Siachen Glacier : भारी सामानों को उठाने में सक्षम हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों का उपयोग, सभी सतहों के लिए अनुकूल वाहनों की तैनाती, मार्गों का विशाल नेटवर्क बिछाया जाना उन कई कदमों में शामिल हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारत का सैन्य कौशल बढ़ाया है। पिछले कुछ वर्षों में बुनयादी ढांचा बढ़ने से उसकी अभियानगत क्षमता में काफी सुधार आया है।
अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना ने अपनी मौजूदगी के 40 साल पूरे किए हैं और पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढांचा बढ़ने से उसकी अभियानगत क्षमता में काफी सुधार आया है।
कराकोरम पर्वत श्रृंखला में करीब 20000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया में सबसे ऊंचे सैन्‍यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को बर्फीली और सर्द हवासे जूझना पड़ता है। भारतीय सेना ने अपने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ के तहत 13 अप्रैल, 1984 में इस ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण कायम किया था।
 
सबसे दुर्जेय इलाकों में से एक : एक अधिकारी ने कहा, सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना का नियंत्रण न केवल अद्वितीय वीरता और दृढ़ संकल्प की गाथा है, बल्कि प्रौद्योगिकी उन्नति और साजो-सामान संबंधी सुधारों की एक असाधारण यात्रा भी है जिसने सबसे दुर्जेय इलाकों में से एक इस क्षेत्र को अदम्य जोश और नवोन्मेष के प्रतीक में बदल दिया। उन्होंने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि खासकर पिछले पांच सालों में उठाए गए कदमों ने सियाचिन में तैनात इन जवानों के जीवन स्तर और अभियानगत क्षमताओं में सुधार लाने में लंबी छलांग लगाई है।
 
अनुकूल वाहनों के उपयोग ने ग्लेशियर में गतिशीलता में काफी सुधार लाया : पिछले साल जनवरी में सेना के इंजीनियर कोर की कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर की अग्रिम चौकी पर तैनात किया गया था। एक अहम रणक्षेत्र में एक महिला सैन्य अधिकारी की यह ऐसी पहली अभियानगत तैनाती थी। अधिकारी ने कहा कि सियाचिन में गतिशीलता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार आया है। उन्होंने कहा, मार्गों के विशाल नेटवर्क के विकास तथा सभी क्षेत्रों के लिए अनुकूल वाहनों के उपयोग ने ग्लेशियर में गतिशीलता में काफी सुधार लाया है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीवी पुल जैसे नवोन्मेषों से सेना प्राकृतिक बाधाओं को पार पाने में समर्थ हुई है तथा हवाई केबलमार्गों में उच्च गुणवत्ता की ‘डायनीमा’ रस्सियों से सुदूरतम चौकियों में भी सामानों की बेरोकटोक आपूर्ति सुनिश्चित हुई है।
 
ये चौकियां सर्दियों में सड़क संपर्क से कट जाती हैं : उन्होंने कहा, भारी सामानों को ले जाने में सक्षम हेलीकॉप्टरों एवं ड्रोनों से इन चौकियों पर तैनात कर्मियों के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में काफी सुधार आया है। ये चौकियां खासकर सर्दियों में सड़क संपर्क से कट जाती हैं। अधिकारी ने कहा,  विशेष कपड़ों, पर्वतारोहण उपकरणों, विशेष राशन की उपलब्धता से दुनिया के सबसे अधिक सर्द रणक्षेत्र में प्रतिकूल दशाओं से टक्कर लेने की सैनिकों की क्षमता बढ़ जाती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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