नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत ने ड्रोन सहित उन्नत तकनीकों का उपयोग करके फसल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रवासी कीट- रेगिस्तानी टिड्डियों के प्रसार को नियंत्रित किया और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि फसल का अधिक नुकसान न हो।
झांसी के रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कॉलेज और प्रशासन भवनों का वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों के अधिक से अधिक उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच उत्तर प्रदेश सहित 10 से अधिक राज्यों को टिडि्डयों की समस्या का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र को 30 वर्षों के बाद टिडि्डयों के हमले का सामना करना पड़ा।कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में आधुनिक प्रौद्योगिकियां कितनी मददगार हैं, इस बात को साझा करते हुए मोदी ने कहा कि देश में जिस गति से टिडि्डयों का हमला हो रहा था, उसे पारंपरिक तरीकों से नियंत्रित करना संभव नहीं था।
प्रधानमंत्री ने कहा, मई में बुंदेलखंड क्षेत्र में टिडि्डयों की समस्या का सामना करना पड़ा था। मुझे बताया गया था कि इस क्षेत्र में 30 वर्षों के बाद टिडि्डयों के हमले हुए हैं। केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि 10 से अधिक राज्यों को टिडि्डयों के हमले की समस्या से जूझना पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत ने इस समस्या को वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रित किया।
उन्होंने कहा, अगर कोरोनावायरस नहीं फैला होता, तो इस पर एक हफ्ते तक सकारात्मक मीडिया बहस होती। हमें एक बड़ी सफलता हासिल हुई। इस कीट से फसलों को बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा युद्धस्तर पर काम करने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि झांसी सहित अन्य जगहों पर एक दर्जन नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए और अधिकारियों ने विशेष स्प्रे मशीनों की खरीद की और उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में वितरित किया।
उन्होंने कहा, चाहे ट्रैक्टर हों या रसायन हों, किसानों को कम से कम फसल का नुकसान हो, इसके लिए सभी मशीनों को उपयुक्त जगहों पर लगाया गया। ऊंचे वृक्षों को बचाने के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल छिड़काव कार्य के लिए किया गया।
इन उपायों से भारत किसानों को बड़े नुकसान से बचाने में सक्षम हुआ है। आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने युवा शोधकर्ताओं और कृषि-वैज्ञानिकों को देशभर में ड्रोन या कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए 'एक जीवन, एक मिशन' पर काम करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों से सरकार कृषि अनुसंधान को सीधे खेतों तक पहुंचाने और यहां तक कि छोटे किसानों को वैज्ञानिक सलाह उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है।उन्होंने कहा, कॉलेज कैंपस से लेकर खेत तक, विशेषज्ञों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है।
जिस दिशा में केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। भारत को राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार में टिडि्डयों की समस्या का सामना करना पड़ा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रभावित राज्यों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 5.66 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में समय पर उपाय किए जाने के बाद अब इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है।यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी 24 अगस्त की ताजा सूचना में कहा था कि भारत-पाकिस्तान के ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्र में टिडि्डयों के झुंड के प्रवास का जोखिम काफी कम हो गया है।(भाषा)