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Last Modified: अहमदाबाद , सोमवार, 27 मई 2024 (17:38 IST)

Rajkot Game Zone Fire : हाईकोर्ट ने राजकोट नगर पालिका को लगाई फटकार, कहा- राज्य मशीनरी पर भरोसा नहीं

Rajkot Game Zone Fire Case
Rajkot Game Zone Fire Case : गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को ‘गेम जोन’ में लगी आग से 27 लोगों की मौत को लेकर राजकोट नगर निकाय को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अब उसका राज्य मशीनरी पर से भरोसा उठ गया है जो केवल तब हरकत में आती है जब मासूम लोगों की जान जा चुकी होती है। अदालत ने राजकोट नगर पालिका परिषद (आरएमसी) को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि जब उसके क्षेत्र के अंतर्गत इस तरह का बड़ा ढांचा तैयार किया जा रहा था तब क्या उसने आंखें मूंद रखी थीं?

गेम जोन ने अपेक्षित अनुमति नहीं मांगी थी : इसके पहले आरएमसी के वकील ने अदालत से कहा था कि टीआरपी ‘गेम जोन’ ने अपेक्षित अनुमति नहीं मांगी थी। न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की विशेष पीठ ‘गेम जोन’ में आग लगने की घटना पर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने यह भी कहा कि 2021 में टीआरपी गेम जोन की स्थापना के समय से लेकर इस घटना (25 मई को) तक, राजकोट के सभी नगर निगम आयुक्तों को ‘इस त्रासदी के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए’ और उन्हें अलग-अलग शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
 
बिना एनओसी के संचालित किया जा रहा था : राजकोट के नाना-मावा इलाके में शनिवार शाम को टीआरपी ‘गेम जोन’ में आग लगने से बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, ‘गेम जोन’ आग से जुड़े एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के बिना संचालित किया जा रहा था। उच्च न्यायालय ने रविवार को आग के कारण घटी इस त्रासदी पूर्ण घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे प्रथम दृष्टया ‘मानव जनित आपदा’ करार दिया।
 
एक वकील ने सोमवार को अदालत को बताया कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए तत्काल निवारक और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है और राज्य सरकार को एक व्यक्ति को जवाबदेह ठहराने के लिए आगे आना होगा और इसके लिए सख्त कदम उठाने की दरकार है।
 
वे चाहते हैं कि जिंदगियां चली जाएं और फिर मशीनरी को काम पर लगाएं : इस पर अदालत ने कहा, इतने सख्त कदम कौन उठाएगा? ईमानदारी से कहूं तो अब हमें राज्य मशीनरी पर भरोसा नहीं रहा। इस अदालत के आदेशों के चार साल बाद, उन्हें निर्देश देने के बाद, उनके आश्वासन के बाद, यह घटित होने वाली छठी घटना है। अदालत ने कहा कि वे केवल यही चाहते हैं कि जिंदगियां चली जाएं और फिर मशीनरी को काम पर लगाएं। 
आरएमसी के वकील की इस दलील पर कि ‘गेम जोन’ ने अपेक्षित अनुमति के लिए अधिकारियों के पास आवेदन नहीं किया था, अदालत ने पूछा कि क्या नगर निकाय अपने अधिकार क्षेत्र के तहत इतनी बड़ी संरचना के प्रति आंखें मूंदे रहा। अदालत ने कहा, इतना बढ़ा ढांचा खड़ा था, आपको दिख नहीं रहा था? आपको पता नहीं था?
 
उच्च न्यायालय ने मौजूदा आरएमसी आयुक्त और जुलाई 2021 से, जब टीआरपी गेम जोन की स्थापना की गई थी, घटना की तारीख तक नगर निगम आयुक्त का पद संभालने वाले अधिकारियों को अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल करने और निर्माण कार्यों की संरचनात्मक स्थिरता आदि से संबंधित प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में विभिन्न मुद्दों को स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट नगर निगमों के मुख्य अग्निशमन अधिकारियों को अग्नि सुरक्षा उपायों (अपने अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले क्षेत्रों में) पर हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। इन उपायों में ‘अग्नि हाइड्रेंट’ की स्थापना और अग्नि सुरक्षा उपकरणों की जांच के साथ यह देखना शामिल है कि क्या लाइसेंस (संचालित करने के लिए) संबंधित कलेक्टरों या मामलातदारों से प्राप्त किए गए थे। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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