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Last Updated : गुरुवार, 7 दिसंबर 2017 (20:18 IST)

‘बैंक खाता, पैन, सिम से आधार जोड़ने की समयसीमा वैध’

‘बैंक खाता, पैन, सिम से आधार जोड़ने की समयसीमा वैध’ - Government extend last date to link PAN with Aadhaar
नई दिल्ली। आधार संख्या जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का कहना है कि बैंक खाते, पैन कार्ड और मोबाइल सिम से आधार जोड़ने की समयसीमा ‘मान्य और वैध’ है। इनकी अंतिम तिथि में कोई बदलाव नहीं किया गया है।


उल्लेखनीय है कि बैंक खाते और पैन कार्ड से आधार को जोड़ने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर और सिम कार्ड से जोड़ने की आखिरी तारीख छह फरवरी है।

सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे संदेशों का खंडन करते हुए यूआईडीएआई ने कहा कि यह अंतिम तिथियां पहले की तरह ही मान्य हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय की ओर से आधार या इसके अन्य सेवाओं के साथ जोड़े जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

यूआईडीएआई ने एक बयान में कहा, ‘आधार अधिनियम को लागू किया जा चुका है। कल्याणकारी योजनाओं, बैंक खातों, पैन कार्ड और सिम कार्ड के प्रमाणन के लिए आधार जोड़ने की तमाम अधिसूचनाएं मान्य और वैध हैं।’

बयान में कहा गया है कि सात दिसंबर 2017 तक की कानूनी स्थिति यह है कि उच्चतम न्यायालय ने अभी तक आधार पर या इसके अन्य सेवाओं से जोड़े जाने वर अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।

गौरतलब है कि पेंशन, एलपीजी सिलेंडर, सरकारी स्कॉलरशिप के लिए आधार कार्ड की जानकारी देना आवश्यक है। सरकार ने अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी आधार कार्ड जरूरी कर दिया है। इसकी आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2017 है।
 
इनकम टैक्स फाइल करने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड लिंक होने जरूरी है। अगर ऐसा नहीं है तो टैक्स फाइल नहीं कर पाएंगे। अगर दोनों को लिंक नहीं किया गया तो पैन कार्ड एक निश्चित समय के बाद अमान्य कर दिया जाएगा। 
 
आधार योजना का विरोध करने वाले लोगों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार को यह हलफनामा देना चाहिए कि आधार को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने में नाकाम रहने वाले लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर एवं न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं।
 
शीर्ष न्यायालय ने 30 अक्टूबर को कहा था कि आधार योजना के खिलाफ कई याचिकाओं पर संविधान पीठ नवंबर के आखिरी सप्ताह से सुनवाई शुरू करेगी। हाल ही में उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं में दावा किया गया था कि यह निजी अधिकारों का उल्लंघन करता है।  (भाषा/वेबदुनिया) 
 
 
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