पुणे। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि अगर पाकिस्तान भारत के साथ मधुर संबंध चाहता है तो उसे अपनी जमीन से होने वाली आतंकी गतिविधियां बंद करनी चाहिए। रावत ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को इस्लामिक देश में बदल दिया है। अगर वह भारत के साथ मधुर संबंध चाहते हैं तो उन्हें स्वयं को धर्मनिरपेक्ष देश बनाना होगा।'
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना युद्धक भूमिकाओं में महिलाओं को शामिल करने के लिए अभी भी तैयार नहीं है। रावत ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के 135वें कोर्स की पासिंग आउट परेड से इतर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के हाल के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के एक कदम बढ़ाने पर उनका देश दो कदम बढ़ाने को तैयार है, जनरल ने कहा कि पड़ोसी देश सबसे पहले अपनी जमीन से होने वाली आतंकी गतिविधियों को बंद करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
पड़ोसी मुल्क को सलाह देते हुए रावत ने कहा, 'मैं पाकिस्तान को कहना चाहता हूं कि वह पहला कदम (आतंक पर रोक लगाने का) उठाए। अतीत में भारत ने कई कदम उठाए हैं। जब हम कहते हैं कि आपके देश में आतंक पल-बढ़ रहा है तो आप भारत के खिलाफ होने वाली आतंकी गतिविधियों के संबंध में कोई कार्रवाई करके दिखाएं।
खान ने कहा था कि जब जर्मनी और फ्रांस अच्छे पड़ोसी हो सकते हैं तो फिर भारत और पाकिस्तान अच्छे मित्र क्यों नहीं बन सकते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर सेन प्रमुख ने कहा कि पड़ोसी देश को पहले अपनी आतंरिक स्थिति देखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, 'आप यह कैसे कह सकते हैं कि हम एकसाथ रह सकते हैं जबकि आप एक इस्लामिक देश हैं? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हम साथ रहें इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों ही धर्मनिरपेक्ष हों। अगर वह हमारी तरह धर्मनिरपेक्ष बनना चाहते हैं तो मुझे लगता है कि इसका एक मौका है।’’
सैन्य बलों में लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं को शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा, ‘‘ हम अब तक इसके लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि सैन्य बलों में इसके लिए सुविधाएं विकसित करनी होंगी और महिलाओं को भी वैसी कठिनाईयों का सामना करने के लिए उस लिहाज से तैयार होने की जरूरत है। यह आसान नहीं है। हमें पश्चिमी देशों से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए। पश्चिमी देश अधिक खुले हैं।’’
उन्होंने कहा, 'हां, यहां के बड़े शहरों में हम भी और खुले हो सकते हैं लेकिन हमारे सैन्यकर्मी केवल बड़े शहरों से नहीं आते, वे ग्रामीण इलाकों से भी आते हैं जहां जहां महिला और पुरूष आपस में उतने सहज नहीं हैं जितने की उम्मीद की जाती है।'
जनरल रावत ने कहा, 'महिला अधिकारियों को तीनों सेनाओं में शामिल किया जा रहा है। लेकिन उनमें से कुछ को स्थायी कमीशन दिया जाना चाहिए या नहीं, इस बारे में फैसला करने की जरूरत है। सेना का भी यह मानना है ऐसे कुछ पहलू, कुछ क्षेत्र हैं जहां हमें एक किस्म की निरंतरता और स्थायित्व की आवश्यकता है।'
उन्होंने बताया कि सेना को महिला दुभाषियों की जरूरत है। इसके अलावा और भी कई क्षेत्रों में सेना महिलाओं को अवसर देने पर विचार कर रही है। (भाषा)