नई दिल्ली। अब तेज तर्रार ड्रैगन को भी मात दी जा सकती है, भले ही यह हमें कुछ नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि जब भी भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है, तो वर्ष 1962 के युद्ध का उल्लेख भी किया आता है। उस युद्ध के बाद अब स्थितियां बदल गई हैं। चीन के पास इस समय विकसित हथियारों का जखीरा है लेकिन भारत भी उससे किसी मामले में कम नहीं है। '62 के युद्ध और आज के समय में काफी बदलाव आ चुका है। आज भारत दुनिया की मजबूत सैन्य ताकतों में गिना जाता है।
टाइम्स न्यू नेटवर्क के लिए रजत पंडित लिखते हैं कि भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों ने यह आकलन पेश किया है। इन कमांडरों का दावा है कि वे युद्ध नहीं चाहते लेकिन बस वे यथार्थवादी हैं और हर तरह की स्थिति के लिए तैयार हैं। विदित हो कि प्रधानमंत्री मोदी, पेइचिंग के साथ संबंधों में आई कड़वाहट को दूर करने के लिए 27-28 अप्रैल को चीन दौरे पर रहेंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भारत युद्ध नहीं चाहता है। लेकिन अगर लगातार उकसाया जाएगा तो हम तैयार हैं। बीते कुछ सालों से लगातार हमारे संकल्प की परीक्षा लेने, खासतौर पर डोकलाम विवाद के बाद चीन को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है कि भारत को हराना अब आसान नहीं है।'
चीन परमाणु शस्त्रागार के अलावा पांरपरिक सैन्य शक्ति के मामले में भारत से आगे दिखता है। फिर चाहे पनडुब्बी हो, लड़ाकू टैंक हों या तोपखाना लेकिन 1962 वाली बात अब नहीं रही। चीन ने अपनी अधिकांश सैन्य ताकत दक्षिण चीन सागर और ताइवान स्ट्रेट (ताइवान खाड़ी) में अमेरिका और अन्य देशों की घुसपैठ को रोकने के मकसद से बढ़ाई है लेकिन इस बात को लेकर अभी भी आशंका रहती है कि क्या इस ताकत का इस्तेमाल पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश के बीच भारत से सटती 4,057 किलोमीटर लंबी सीमा पर कर सकता है या नहीं।
एक वरिष्ठ सैन्य ऑफिसर ने बताया, 'भारत-चीन सीमा का भूगोल ऐसा नहीं है जहां PLA को हमले करने की जगह
मिले और हमारे पास चीन के हमलों का जवाब देने की क्षमता है।' चीन के सीमावर्ती इलाके में भारत के पास 15 इंफैंटरी डिविजन (एक डिविजन यानी 12 हजार से ज्यादा सैनिक) हैं। इसके साथ ही तोपखाने, मिसाइलें, टैंक और एयर डिफेंस रेजिमेंट भी हैं।
उन्होंने बताया कि भारत 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स 2021-2022 तक तैयार कर लेगा। इन 17 दस्तों में कुल 90 हजार 274 सैनिक होंगे। इनको इस तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा कि अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC से सटी पहाड़ियों पर PLA को युद्ध करना है तो उसे हर एक भारतीय जवान से लड़ने के लिए 6 जवान भेजने होंगे।
समुद्री क्षेत्र में भारतीय युद्धपोत आसानी से ऊर्जा आयात के लिए चीन के समुद्री मार्गों को बाधित कर सकते हैं। एक वरिष्ठ नौसेना ऑफिसर ने कहा, 'पीएलए नौसेना बहुत बड़ी हो सकती है लेकिन हिंद महासागर में अनुभव के मामले में वह बहुत पीछे हैं।'
भले ही तिब्बत के पठार में चीन के पास 14 बड़े एयरफील्ड, एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड और हैलिपैड हैं, लेकिन भारतीय वायुसेना आक्रामक रूप से अपने विरोधी को बाहर कर सकती है। चीनी फाइटर्स में अपने हवाई अड्डों से 9 हजार से 10 हजार फीट की ऊंचाईं तक ही हथियार और ईंधन ले जाने की क्षमता है। चीन हमारे वायुठिकानों को बाधित करने के लिए रॉकेटों की ताकत का इस्तेमाल कर सकता है।
इसी कारण से हाल में सम्पन्न हुए ऑपरेशन गगनशक्ति के दौरान संभावित रणनीति के तहत चीन को दूर-दूर तक फैले ठिकानों से हमला करने का अभ्यास किया गया इसी के तहत बंगाल की खाड़ी में नौसैनिक अभ्यास किया गया। कुल मिलाकर हमारा उद्देश्य चीन के किसी भी संभावित आक्रमण को रोकना है और भारत धीरे-धीरे ही सही लेकिन लगातार उस तरफ बढ़ रहा है।