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Last Updated : गुरुवार, 15 दिसंबर 2022 (18:30 IST)

दक्षिण से उत्तर भारत तक राजनीति में हावी परिवारवाद की पूरी पड़ताल

दक्षिण से उत्तर भारत तक राजनीति में हावी परिवारवाद की पूरी पड़ताल - Explainer: Nepotism in Politics from South to North India
देश की राजनीति में एक बार फिर परिवारवाद को लेकर नई बहस छिड़ गई है। उत्तरभारत के बाद इस बार परिवारवाद पर बहस दक्षिण भारत की पॉलिटिक्स में तेज हो गई है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के अपने विधायक बेटे उदयनिधि स्टालिन को अपनी ही सरकार में मंत्री बनाने के बाद परिवारवाद का मुद्दा फिर चर्मा में आ गया है।

अगर देश के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो परिवारवाद देश की राजनीति में हमेशा से हावी रहा है। आज देश की राजनीति में एक व्यक्ति और परिवार पर केंद्रित पार्टियों की भरमार है। इसे लोकतंत्र की विडंबना ही कहेंगे कि प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियां वंशवाद के सहारे ही आगे बढ़ रही हैं। राजनीति में भाई-भतीजावाद के चलते परिवारवाद को बढ़ाने वाली पर्टियां असल में एक परिवार की प्रापर्टी बनती जा रही है और वह परिवारिक पब्लिक लिमिटेड कंपनी की तरह व्यवहार कर रही है।

'वेबदुनिया' की खास खबर में परिवारवाद की पॉलिटिक्स में इस पूरे मुद्दें की विस्तृत पड़ताल।

तमिलनाडु में डीएमके-दक्षिण भारत की राजनीति में परिवारवाद की जड़े काफी गहरे तक समाई है। करूणानिधि की पार्टी डीएमके पर परिवार के सदस्यों का ही कब्जा है। डीएमके की कमान बेटे स्टालिन के हाथ में है और वह वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने विधायक बेटे उदयनिधि स्टालिन को अपनी ही सरकार में खेल मंत्री बनाया है। स्टालिन के अलावा करूणानिधि की बेटी कनिमोझी और दामाद दयानिधि मारन राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय है। कनिमोझी वर्तमान मे लोकसभा सांसद है और वह यूपीए सरकार में मंत्री रह चुकी है।
 

कर्नाटक में जेडीएस-कर्नाटक की राजनीति में कई दशकों से अपना दबदबा बनाकर जेडीस परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी का पार्टी पर पूरा एकाधिकार है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में देवेगौड़ा के पोते प्रावल हासन लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर परिवारवाद की राजनीति को आगे बढ़ाया।

तेलंगाना में टीआरएस-देश की राजनीति में मात्र 20 साल पुरानी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति पर भी परिवारवाद के असर से अछूती नहीं है। पार्टी की स्थापना करने वाले चंद्रशेखर राव वर्तमान में तेलंगाना के मुख्यमंत्री है तो उनके पुत्र केटी रामाराव राज्य में मंत्री और बेची कवित विधायक है।

आंध्र प्रदेश मे टीडीपी-आंध्र प्रदेश की सियासत मे तेलुगुदेशम पार्टी के संस्थापक नंदमुरी तारक रामाराव की तीसरी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है। एनटीआर के बाद चंद्रबाबू नायडू राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वहीं चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश भी राजनीति में सक्रिय हो गए है।
 

उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी-मुलायम सिंह यादव की समाजवार्दी पार्टी देश की सबसे बड़ी परिवाद वाली सियासी दल है। मुलायम सिंह यादव परिवार के दो दर्जन से अधिक सदस्य सक्रिय राजनीति में है। मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, बहू मैनपुरी से लोकसभा सदस्य, चाचा शिवपाल यादव विधायक, चाचा रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद, भाई धमेंद्र यादव और अक्षय यादव के साथ परिवार के अन्य सदस्य पंयायत से लेकर नगरीय निकाय पर काबिज है।

उत्तरप्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल-उत्तर प्रदेश की राजनीति में चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल भी परिवारवाद के सहारे आगे बढ़ रही है। अजीत सिंह के बाद अब बेटे जयंत चौधरी पार्टी के अध्यक्ष है।

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल- बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार ऐसा सियासी कुनबा है जिसके परिवार के सदस्य उपमुख्यमंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद था। लालू प्रसाद यादव खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। लालू के दोनों बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी बिहार में मंत्री और उपमुख्यमंत्री है। लालू की बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद है।

झारखंड में जेएमएम-झारखंड में सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा भी परिवारवाद की राजनीति को आगे बढ़ा रहा है। पार्टी के संस्थापक शिबू सोरन के तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहने केबाद अब उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री है।

पश्चिम बंगाल में टीएमसी- पश्चिम बंगाल में सत्ता में टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी भी राजनीति में परिवारवाद को बढ़ा रही है। ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी राजनीति में सक्रिय है वहीं ममता के भाई की पत्नी भी राजनीति के मैदान में उतर चुकी है।

महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी- महाराष्ट्र की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी शिवेसना भी एक परिवार पार्टी है। बाल ठाकरे ने जिस शिवसेना का गठन किया अब उस पर उनके बेटे उद्धव ठाकरे और पोते आदित्य ठाकरे का पूरा कब्जा है। उद्धव ठाकरे जहां पार्टी के अध्यक्ष है वहीं आदित्य ठाकरे पार्टी की युवा विंग के कमान संभाले है।

वहीं महाराष्ट्र की दूसरी प्रमुख पार्टी एनसीपी पर भी पवार परिवार का कब्जा है। शरद पवार पार्टी के अध्यक्ष, उनकी पार्टी सुप्रिया सूले सांसद और भतीजे अजीत पवार विधायक है।

जम्मू कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस-जम्मू कश्मीर के दोनों प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस परिवारवाद के सहारे ही चल रही है। अब्दुल्ला परिवार का नेशनल कॉफ्रेंस पर कई दशकों पूरा कब्जा है। वर्तमान में फारूख अब्दुल्ला के बाद अब उमर अब्दुला पार्टी के अध्यक्ष है जबकि फारूक अब्दुल्ला सांसद है।

इसी तरह मुफ्ती मुहम्मद सईद की पार्टी पीडीपी की अध्यक्ष बेटी महबूबा मुफ्ती है। पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को विरासत में राजनीति मिली है। उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। पिता की मौत के बाद महबूबा मुख्यमंत्री भी बनीं थीं।

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-पंजाब की राजनीति की बात अकाली दल के जिक्र के बिना अधूरी है। शिरोमणि अकाली दल के संस्थापक प्रकाश सिंह बाद पंजाब के 4 बार मुख्यमंत्री रहे वहीं उनके बेटे सुखबीर सिंह बाद पार्टी के वर्तमान में अध्यक्ष है। सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर लोकसभा सांसद है और भाजपा-अकाली गठबंधन के समय वह मोदी सरकार में मंत्री भी थी।

हरियाणा में परिवारवाद ही हावी-हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का ही कब्जा रहा है। दुष्यंत चौटाला जो वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री है वह पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते है। दुष्यंत चौटाला वे देश के उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे देवी लाल की खानदानी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके साथ हरियाणा की राजनीति में भजनलाल का परिवार भी राजनीति में सक्रिय है।
 

कांग्रेस में परिवारवाद-देश की राजनीति में परिवारवाद के नाम पर सबसे अधिक आलोचना का शिकार होने वाली कांग्रेस पार्टी ने भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर परिवारवाद का दाग धोने की कोशिश की हो लेकिन अब भी पार्टी पर गांधी परिवार का ही कब्जा है। गांधी सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों लोकसभा सांसद है। वहीं तीसरी सदस्य प्रियंका गांधी पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव है।   

मोदी कैबिनेट में परिवारवाद का चेहरा-भाजपा भले ही राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ काफी मुखर नजर आती हो लेकिन वह भी परिवारवाद के दाग से अछूती नहीं है। मोदी कैबिनेट में नंबर टू माने जाने वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह खुद भाजपा के टिकट पर विधायक है। वहीं केंद्रीय नागरिक उड्यन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राजामाता विजयाराजे सिंधिया के परिवार से आते है।

मोदी कैबिनेट में वणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भाजपा के कोषाध्यक्ष और अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे वेदप्रकाश गोयल के बेटे है। वहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल के बटे है।

वहीं अगर राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश सहित देश कई राज्यों में भाजपा में परिवारवाद के कई चेहरे है। वेबदुनिया की अगली खबर में भाजपा में परिवारवाद और चुनौतियों से विस्तार से बात करेंगे।  
 
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