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Last Updated : मंगलवार, 8 जून 2021 (16:57 IST)

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने लंबित चुनाव सुधारों को लेकर कानून मंत्री को लिखा पत्र

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने लंबित चुनाव सुधारों को लेकर कानून मंत्री को लिखा पत्र | Sushil Chandra
नई दिल्ली। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के लिए 2 साल की जेल के प्रावधान समेत कई चुनाव सुधारों से संबंधित प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं। चंद्रा ने बताया कि मैंने कानून मंत्री को लिखा है कि इन प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं और आशा करता हूं कि इन पर मंत्रालय की ओर से जल्द विचार किया जाएगा।

 
निर्वाचन आयोग ने जिन चुनावों सुधारों के प्रस्ताव दिए है उनमें एक मुख्य प्रस्ताव चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर 6 महीने जेल की सजा को बढ़ाकर 2 साल करने के प्रावधान से संबंधित है। 2 साल की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर 6 साल तक की रोक लग जाएगी। चंद्रा का कहना है कि मौजूदा समय में 6 महीने की जेल का प्रावधान है जिससे किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
 
आयोग ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि 'पेड न्यूज' को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाया जाए और इसके लिए ठोस प्रतिरोध के प्रावधान किए जाए। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने याद दिलाया कि आयोग ने चुनाव प्रचार के खत्म होने और मतदान के दिन के बीच वाले समय 'साइलेंट पीरियड' के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव दिया है ताकि मतदाता प्रभावित नहीं हो और खुले मन से अपने मताधिकार का उपयोग करे। इस कदम के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत होगी।

 
मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार के संदर्भ में कानूनों के बदलावों के लिए प्रस्ताव देने के मकसद से गठित समिति ने सिफारिश की थी कि मतदान वाले दिन अखबारों में विज्ञापन दिए जाने पर रोक लगाई जाए। फिलहाल, मतदान संपन्न होने से पहले 48 घंटों के दौरान प्रचार सामग्री दिखाने पर इलेक्ट्रानिक मीडिया को प्रतिबंधित किया गया है। परंतु समिति ने सिफारिश की है कि अखबारों को भी इस रोक के दायरे में लाया जाए।
 
चंद्रा ने कहा कि एक और प्रस्ताव मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का है ताकि एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूचियों में नाम पर रोक लग सके। कानून मंत्री प्रसाद ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और इसके लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करना होगा। (भाषा)
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